नई दिल्ली। युसुफ पठान ने क्रिकेट के हर फॉर्मेट से संन्यास का ऐलान कर दिया। युसुफ पठान ऐसे खिलाड़ी थे कि जब वह फॉर्म में हो तो किसी भी मैच का रुख पलटने का माद्दा रखते थे। न्यूजीलैंड के खिलाफ 2010 में पठान का जबरदस्थ शतक कोई भुला नहीं सकता है। तकरीबन दो दशक लंबे अपने क्रिकेटिंग करियर के बाद युसुफ पठान ने संन्यास का ऐलान कर दिया। युसुफ पठान ने भारत की ओर से 2007 का टी-20 विश्वकप, और 2011 के वनडे विश्वकप खेला है। स्पोर्ट्सकीड़ा को दिए इंटरव्यू में युसुफ पठान ने कहा कि मैं इस बात को लेकर बहुत खुश हूं कि मैंने टीम इंडिया के लिए खेला और मुझे अपने करियर में किसी भी बात का अफसोस नहीं है।

युसुफ पठान ने कहा कि मैं अपने परिवार और फैंस की शुभकामनाओं की वजह से यहां तक पहुंच पाया हूं। मेरे जीवन में कई अच्छे पल आए, मैंने कई ट्रॉफियां जीतीं। लिहाजा मैं इस बात को लेकर गर्व महसूस करता हूं कि जहां से मैंने अपना करियर शुरू किया और यहां तक पहुंचा, मेरे जीवन में यह बेहतरीन अध्याय जुड़ा, मैं हर किसी का शुक्रिया अदा करना चाहता हूं। अपने संन्यास को लेकर पठान ने कहा कि संन्यास का फैसला अचानक से नहीं लिया है।

पठान ने कहा कि पिछले एक साल से मैं संन्यास के बारे में सोच रहा था, मैं इस बात पर भी सोच रहा था कि जब मैं क्रिकेट करियर खत्म करूंगा तो मेरे पास दूसरा विकल्प क्या होगा। मेरे परिवार और मेरा भाई ने मुझे इसको लेकर सुझाव दिया। मैंने वरिष्ठ खिलाड़ियों के साथ भी बात की जोकि मेरे क्रिकेट करियर में मेरे करीब रहे,उन्होने मुझे सुझाव दिया कि आगे करियर में मैं क्या कर सकता हूं।

युसुफ पठान ने कहा कि मैं और मेरे भाई का एक दूसरे के करियर में बड़ा योगदान रहा है। हम दोनों साथ खेले और साथ ही में बड़े हुए और बहुत कुछ हासिल किया। हमारे परिवार के पास जो कुछ था, हमने उससे सीखना शुरू किया और अपने शुरुआती दिन काफी अच्छे से जिया। मेरे परिवार ने हमेशा हमे अच्छा करने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने हमे कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि हमारे पास अच्छी क्रिकेट किट नहीं है या अच्छा बैट नहीं है। हमारे कपड़े फटे होते थे, जूते फटे होते थे, लेकिन हमे इस बात की प्रेरणा दी जाती थी कि हम उसे रिपेयर कर सकें,उनका सही से इस्तेमाल करें और उसका सम्मान करें। उन्होंने हमे सकारात्मक रहने और खुश रहने की प्रेरणा दी