कई महान कवियों ने बदलते मौसमों के वैभव की सराहना की है – गर्मियों में चमकती धूप, सर्दियों में ठंड और शांतिप्रद शामें, और मानसून के दौरान बारिश की रिमझिम फुहार। सौभाग्य से, वे उस तरह के जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग संकट से बच गए थे जो हम वर्तमान में अनुभव कर रहे हैं। जबकि हम खुद वातानुकूलित वातावरण में रहते हैं, महंगे नींबू के शर्बत लेते हैं, उपयुक्त एसपीएफ वाले सनस्क्रीन की तलाश करते हैं और इस बात का इंतजार करते हैं कि सरकार कोयले की समस्या का हल निकाले जिसके चलते देश के कई हिस्सों में विद्युत आपूर्ति बाधित हो रही है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण काम जो अभी हम कर सकते हैं, वो यह है कि अपनी सेहत का ख्याल रखें और खुद को हाइड्रेटेड रखें। विशेषज्ञों के अनुसार, डिहाइड्रेशन के लक्षणों को नजरअंदाज करने से गंभीर चिकित्सा समस्याएं हो सकती हैं। मानव शरीर का लगभग एक-तिहाई हिस्सा पानी से बना है। शुष्क और आर्द्र मौसम में शरीर से बहुत अधिक पसीना निकलने के चलते जल और लवण का संतुलन बाधित होता है। नतीजतन, शरीर के सामान्य तापमान को बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पानी की आवश्यकता होती है। एनएचएस के अनुसार, शरीर में पानी की कमी यानी कि डिहाइड्रेशन होने पर अग्रलिखित लक्षणों का अनुभव हो सकता है: प्यास लगना, गहरा पीला और तेज गंध वाला पेशाब, चक्कर आना, थकान महसूस होना, मुँह, होंठ एवं आंखों का सूख जाना, पेशाब में कमी – दिन में 4 बार से कम।
बदलते मौसम के कारण होने वाले डिहाइड्रेशन से बचने हेतु उपाय:
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