एस आर दारापुरी, राष्ट्रीय अध्यक्ष, आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट
आज बजट स्तर में संसद में राष्ट्रपति महोदया के भाषण के माध्यम से मोदी सरकार ने अपनी उपलब्धियों का बखान किया है जिनकी शव परीक्षा जरूरी है। गिनाई गई उपलब्धियों की समीक्षा से एक बात स्पष्ट हो जाती है कि यह अधिकतर अभौतिक एवं भावनात्मक हैं और भविष्य की संभावनाओं की अभिव्यक्ति है। एक भी उपलब्धि ऐसी नहीं है जो दर्शाती हो कि आम आदमी के जीवन स्तर में कोई सुधार हुआ हो। इसके विपरीत अमृत काल में असमानता, कुपोषण, गरीबी, बेरोजगारी में बढ़ोतरी, अराजकता, बहुसंख्यक का आतंक, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न तथा मानवाधिकारों, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता एवं धार्मिक स्वतंत्रता का हनन, कानूनों का दुरुपयोग एवं बुद्धिजीविओं तथा सरकार से असहमत लोगों की पड़तालना, निजीकरण, आर्थिक व्यवस्था का कार्पोरेटीकरण एवं तानाशाही प्रमुखता से परिलक्षित हुई है। वैसे तो भाषण में मोदी सरकार की अभौतिक उपलब्धियों तथा दावों की भरमार है जैसे दुनिया का भारत से प्रेरणा लेना तथा दुनिया का भारत को देखने का नजरिया बदलना आदि।
भाषण में उल्लिखित कुछ उपलब्धियों की समीक्षा निम्नवत है:-
आदिवासियों के कल्याण के दावे की सच्चाई यह है कि आदिवासियों की जमीन छीन कर कार्पोरेट्स को दी जा रही है और उन्हें बेदखल किया जा रहा है। इस का विरोध करने पर उन्हें नक्सली तथा माओवादी कह कर मारा जा रहा है तथा जेलों में सड़ाया जा रहा है। उनके पक्ष में खड़े होने वाले लेखों, पत्रकारों, बुद्धिजीविओं तथा मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को अर्बन नक्सल कह कर जेलों में डाला जा रहा है। आदिवासियों को स्थाई तौर पर आवास तथा कृषि भूमि देने के लिए यूपीए सरकार द्वारा 2006 में बनाए गए वनाधिकार कानून को लागू करने में मोदी सरकार कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रही है जबकि आल इंडिया पीपुल्स फ्रन्ट तथा कुछ अन्य संगठनों द्वारा इस हेतु सुप्रीम कोर्ट से 2019 में आदेश भी पारित कराया जा चुका है।
उपरोक्त संक्षिप्त समीक्षा से स्पष्ट है कि बजट स्तर के राष्ट्रपति महोदया के भाषण के माध्यम से मोदी सरकार द्वारा अपनी उपलब्धियों के गिनाए गए दावे झूठे हैं तथा जमीनी सच्चाई से परे हैं। इस की अगली तस्वीर आने वाले बजट से और भी स्पष्ट हो जाएगी।
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