तौक़ीर सिद्दीक़ी

बुर्क़े में मलबूस एक लड़की जिसका नाम मुस्कान है ने जय श्रीराम के नारे लगाते तथाकथित छात्रों का जिस बेखौफी और निडरता से मुकाबला किया, वह कबीले तारीफ ही कहा जायेगा, इसलिए नहीं कि वह मुस्लिम लड़की है बल्कि इसलिए कि वह एक लड़की है जो इतने पुरुषों की शोर मचाती भीड़ से भी विचलित नहीं हुई. जिसने हिजाब विरोधियों को उन्हीं के अंदाज़ में जवाब भी दिया. नारों के जवाब में नारे लगाकर। मुस्कान का यह वीडियो वायरल हो चूका है और सोशल मीडिया पर बहस का केंद्र बना हुआ.

बकौल मुस्कान उसे नारे लगाती भीड़ से कोई डर नहीं लगा. उस भीड़ में कालेज के साथी कम थे, बाहरियों की संख्या ज़्यादा थी. कहने का मतलब बुलाई हुई भीड़ थी. मुस्कान के दावे की एक वायरल वीडियो पुष्टि करती है जिसमें दिख रहा है कि किसी पार्क जैसी जगह पर छात्र जैसे दिख रहे युवक भगवा पगड़ियों को जमा कर रहे हैं. यकीनन यह लोग उन्हीं में से होंगे जो इन दिनों कर्नाटक के उडीपी, शिवमोग्गा और आसपास के स्कूलों में मुस्लिम लड़कियों के हिजाब पहनने का विरोध कर रहे हैं.

मुस्कान बताती हैं कि वह अपना असाइनमेंट जमा करने मांड्या प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज गयी थीं, पहले तो भगवा स्कार्फ़ धारी भीड़ ने उन्हें कालेज के अंदर जाने से रोका, फिर कालेज के अंदर पहुँचने पर यह भीड़ मुझे देखकर जय श्रीराम के नारे लगाने लगी और मेरे पीछे पीछे चलने लगी, मैंने भी जवाब में अल्लाहो अकबर के नारे लगाए। मुस्कान ने कहा कि मुझे इन लोगों से बिलकुल भी डर नहीं लगा क्योंकि स्कूल के प्रिंसिपल और अध्यापक मेरे साथ थे, उन्होंने मेरी सुरक्षा की.

मुस्कान के मुताबिक पहले ऐसा कुछ भी नहीं था, हम बुर्का पहनकर ही कालेज आते थे और क्लास में बुर्का उतार देते थे और सिर्फ हिजाब पहनते थे. मुस्कान के मुताबिक सिर्फ कुछ मुट्ठी भर लोग हैं जिन्होंने यह विवाद पैदा किया है, मेरे हिन्दू दोस्त, कालेज का स्टाफ, सबने मेरा समर्थन किया।

दरअसल यह विवाद उडुपी के गवर्नमेंट गर्ल्स पीयू कॉलेज में पिछले महीने शुरू हुआ था, जब छह मुस्लिम छात्राओं ने स्कूल प्रबंधन पर आरोप लगाया था कि वह उन्हें हिजाब पहनकर स्कूल आने से रोक रहा है. इसके बाद इसमें भगवा ब्रिगेड की इंट्री होती है और फिर यह विवाद अन्य ज़िलों में भी फैलने लगता है. मामला सुप्रीम कोर्ट में है, हालात इतने बिगड़ गए हैं राज्य के सभी स्कूल-कॉलेजों को तीन दिन तक बंद रखने का ऐलान कर दिया गया है. वैसे ड्रेस कोड से बुर्क़े का ताल्लुक़ तो हो सकता है लेकिन हिजाब को ड्रेस कोड का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता। अगर कोई लड़की अपने सिर को कपड़े से ढकती है तो इसमें ग़लत कहाँ से हो सकता है.

मामला अगर किसी गर्ल्स कालेज का होता तो हिजाब न पहनने की बात को माना भी जा सकता था लेकिन जब कोएजुकेशन की बात आती है तो वहां मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनने को हरगिज़ गलत नहीं कहा जा सकता क्योंकि महिलाओं के लिए हिजाब इस्लाम का एक अभिन्न अंग, एक मान्यता है, एक परम्परा है . इस्लाम में साफ़ तौर लिखा है कि बाप और भाइयों के सामने भी हिजाब में रहे. लिबास पर एक बड़ी लम्बी बहस की जा सकती है लेकिन चूंकि यह मामला सिर्फ ड्रेस कोड को लेकर उठाया गया है तो मैं एकबार फिर कहूंगा कि हिजाब को ड्रेस कोड का उल्लंघन हरगिज़ नहीं कहा जा सकता।

बहरहाल यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग लेता जा रहा है, या ऐसा भी कह सकते हैं कि हिजाब को मुद्दा बनाकर राजनीति की जा रही है. कर्नाटक में अगले साल चुनाव हैं, सत्ता में भाजपा है जिसने कुमारस्वामी सरकार को सत्ता हथियाई थी. इसलिए पूरा विवाद साम्प्रदायिक ध्रूवीकरण का घिनावना रूप नज़र आ रहा.