आतंक की फैक्टरी, पाकिस्तान में एक बार फिर हज़ारा मुस्लिमो का कत्लेआम हुआ ।

हर दो चार महीनों में एक खबर आती है कि आतंकियों ने हज़ारा समुदाय के निर्दोष लोगों की हत्या की ।
ज़ाहिर सी बात है कि ऐसी घटनाएं पाकिस्तान जैसे देश में ही हो सकती हैं जहां वस्तुतः कठमुल्लों का राज है ।

कौन हैं ये निरीह, मजलूम हजारा मुस्लिम? जिनका मुसलमान ही कर रहे हैं कत्ल ? क्या जुर्म है इनका ?

इनका एकमात्र जुर्म यही है कि ये शिया मुसलमान हैं, ये हुसैनी हैं ।

शिया पिछले 1400 वर्षों से अत्याचार और भेदभाव का शिकार रहे हैं, पाकिस्तान में हिंसा और अत्याचार का यह क्रम अभी तक जारी है । अल कायदा, आई एस आई एस, तालिबान, दाईश,अल शबाब, अल नुसरा ,लश्करे झंगवी,लश्करे तैयबा आदि जैसे आतंकी संगठन शिया मुसलमानों के जान के दुश्मन है । यज़ीदी आज भी हुसैनियों के खून के प्यासे है ।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में हजारा समुदाय के 11 लोगों की हत्या के बाद से बवाल मचा हुआ है। इस्लाम के नाम पर इन लोगों की आईएसआईएस के आतंकियों ने कुछ दिनों पहले हत्या कर दी थी। जिसके बाद से मृतकों के परिजन रविवार से ही क्वेटा के वेस्टर्न बाइपास इलाके में पाकिस्तान सरकार के खिलाफ शवों को रखकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वैसे इन हत्याओं का लंबा इतिहास रहा है। हज़ारा मुसलमानों की पूरी नस्ल ही ख़तम की जा रही है ।

पाकिस्तान में सुन्नी मुसलमान बहुसंख्यक हैं, जो हिन्दुओं और ईसाइयों के साथ ही साथ अहमदिया और हजारा जैसे अपने ही धर्म के लोगों की हत्याएं करते हैं। पाकिस्तान के अलावा अफगानिस्तान में भी तालिबान शासन में हजारा समुदाय के ऊपर भयानक अत्याचार हुए हैं। तालिबान के आतंकी हजारा समुदाय के लोगों को न केवल गोली मार देते हैं, बल्कि इनके समुदाय की महिलाओं के साथ भी बुरा सलूक करते हैं।

हजारा समुदाय पाकिस्तान और अफगानिस्तान में बसने वाली शिया मुस्लिमों की एक कौम है। जो दरी फारसी की हजारगी उपभाषा बोलते हैं। हजारा फारसी, मंगोलियाई और तुर्क वंश का एक अफगान जातीय अल्पसंख्यक समूह है। इन्हें मंगोल शासक चंगेज खान का वंशज भी माना जाता है।

हजारा समुदाय के लोग शिया मुसलमान होते हैं। माना जाता है कि हजारा 16 वीं शताब्दी की शुरुआत में फारस में सफवी राजवंश के समय में शिया धर्म में परिवर्तित हो गए थे। चूंकि, अफगानिस्तान में अधिकांश सुन्नी मुसलमान हैं, इसलिए हजारा समुदाय के ऊपर सदियों से ज़ुल्म और भेदभाव किया जाता रहा है। तालिबान शासन के दौरान हजारा समुदाय के लाखों लोगों का नरसंहार कर दिया गया ।

आज पाकिस्तान में 15 लाख और अफगानिस्तान में लगभग 30 लाख हजारा मुसलमान रहते हैं, ईरान में भी इनकी अच्छी तादाद है। अफगनिस्तान मे ये पश्तून और ताजिकों के बाद तीसरी सबसे बड़ी उपजाति हैं। पाकिस्तान में अधिकांश हज़ारा लोग क्वेटा के आसपास रहते हैं।

इन मजलूमों को कब शांति का जीवन नसीब होगा, खुदा ही जानता है ।