उत्तर प्रदेश

हमीरपुर: दिल की बीमारी से जूझ रही जायसा का इलाज कराएगा आरबीएसके

  • आरबीएसके टीम बच्ची का अलीगढ़ में कराएगी उपचार

हमीरपुर ब्यूरो

दिल के गंभीर विकार के साथ दुनिया में आंख खोलने वाली बच्ची के उपचार की जिम्मेदारी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम ने उठाई है। प्रारंभिक जांचों को देखने के बाद बच्ची को अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया जा रहा है, जहां उसका उपचार होगा।

मौदहा कस्बे के हुसैनगंज मोहल्ला निवासी सद्दाम की पत्नी नाजिस परवीन ने नवंबर 2020 में बच्ची को जन्म दिया था। यह उनकी पहली संतान थी। घर में खुशियां थीं और हर कोई बधाई दे रहा था। बच्ची का नाम जायसा रखा गया। अभी कुछ ही दिन गुजरे थे कि जायसा को सांस लेने में दिक्कत होने लगी।

उसका ऑक्सीजन लेवल नीचे जाने लगा। बच्ची की मां बताती हैं कि जब जायसा की हालत बिगड़ी तो उसे दिखाने के लिए डॉक्टरों से संपर्क किया। डॉक्टरों ने उसे जन्मजात दिल की बीमारी से ग्रसित होने की पुष्टि की, जिसके बाद वह उसे कानपुर और एक बार छत्तीसगढ़ ले जाकर दिखा चुकी हैं।

घर वाले एक दिन ऑक्सीजन लेवल कम होने पर जायसा को लेकर सीएचसी पहुंचें , जहां उनकी मुलाक़ात आरबीएसके की टीम से हुई । टीम ने उनकी बच्ची की पूरी रिपोर्ट देखी और इसे अलीगढ़ भेज दिया, जहां से खबर आई कि बच्ची का उपचार हो जाएगा, उसे लेकर अलीगढ़ जाना होगा। इधर, आरबीएसके ने बच्ची को अलीगढ़ ले जाने के लिए समस्त औपचारिकताएं पूरी कर दी हैं।

अलीगढ़ में इलाज की संभावनाएं
आरबीएसके के डीईआईसी मैनेजर गौरीश राज पाल बताते हैं कि बच्ची गंभीर दिल की बीमारी से ग्रसित है। आरबीएसके दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चों को उपचार कराने के लिए अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज भेजती हैं, वहां डॉक्टरों ने रिपोर्ट देखने के बाद बच्ची के उपचार से सही होने की संभावना जताई है। उसे जल्द ही यहां से अलीगढ़ भेज दिया जाएगा।

बच्ची के वॉल्ब में सुराख
मौदहा सीएचसी के एमओआईसी डॉ. अनिल सचान का कहना है कि नाजिस परवीन ने इसी अस्पताल में बच्ची को जन्म दिया था। बच्ची जन्मजात दिल की बीमारी से ग्रसित है। उसके वॉल्ब में सुराख है। मामला जटिल भी है। जांच रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है। बच्ची का उपचार अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज में संभव है। उसे यहां से रेफर करने की समस्त औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं।

क्या है आरबीएसके
राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) शून्य से 19 साल तक के बच्चों के इलाज के लिए काम करता है। चार डी यानी चार तरह के जन्मजात विकार (डिफेक्ट) सहित कुल 44 बीमारियों के लिए परामर्श के साथ इलाज एकदम मुफ्त होता है। इसमें हृदय रोग, जन्मजात बहरापन, मोतियाबिंद, कटे होंठ-तालू, टेढ़े पैर, एनीमिया, दांत टेढ़े-मेढ़े होना, बिहैवियर डिसआर्डर, लर्निंग डिसआर्डर, डाउन सिंड्रोम, हाइड्रो सिफलिस, स्किन रोग अन्य सामान्य बीमारियां प्रमुख हैं। आरबीएसके इन बीमारियों से चिन्हित बच्चों का नि:शुल्क इलाज, ऑपरेशन, प्राथमिक, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और जिला अस्पताल, मेडिकल कॉलेज व उच्चतम इलाज के लिए कानपुर, झांसी, अलीगढ़ और बांदा में कराता है।

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