अहमदाबाद:
गुजरात विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी कहीं न कहीं साम्प्रदायिकता का तड़का लगा रही है. कल घोषित 160 प्रत्याशियों की लिस्ट में 30 साल की पायल कुकरानी का नाम भी शामिल है, भाजपा ने अहमदाबाद के नरोदा सीट से उन्हें मैदान में उतारा है। बता दें कि पायल के पिता मनोज कुकरानी 2002 के गोधरा हिंसक दंगों के दोषी हैं और उनको कोर्ट द्वारा नरोदा पाटिया के उस जघन्य कांड में दोषी ठहराया गया था, जिसमें 28 फरवरी 2002 को हुए दंगे में 96 अल्पसंख्यकों का सामूहिक कत्ल हुआ था।

इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक नरोदा विधानसभा सीट से भाजपा का टिकट पाने वाली पायल की मां रेशमा कुकरानी अहमदाबाद के सैजपुर बोघा वार्ड से भाजपा पार्षद हैं। भाजपा ने नरोदा से मौजूदा भाजपा विधायक बलराम थवानी का टिकट काटते हुए पायल को वहां से पार्टी का प्रत्याशी बनाया है।

पायल के पिता मनोज कुकरानी उन 32 दोषियों में शामिल थे, जिन्होंने नरोदा पाटिया हिंसक कांड को अंजाम दिया था। उस हिंसा के लिए नरोदा सीट का तत्कालीन भाजपा विधायक और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी को भी अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने 2012 में दोषी ठहराया था। मामले में आगे चलकर गुजरात हाईकोर्ट ने साल 2018 में 16 दोषियों की सजा बरकरार रखी लेकिन माया कोडनानी समेत 13 अन्य को मामले से बरी कर दिया।

वहीं नरोदा पाटिया दंगे में लोअर कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए गए दोषियों में से दो की मौत जेल में ही चुकी थी। अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने अगस्त 2012 में नरोदा दंगों की सुनवाई खत्म करते हुए 2002 दंगों में शामिल होने के लिए भाजपा कार्यकर्ता मनोज कुकरानी को हत्या और हत्या के प्रयास (आईपीसी की धारा 307 और 302), दंगा करने का दोषी ठहराया था।

मामले में कम से कम 22 गवाहों ने कोर्ट में मनोज कुकरानी की भूमिका को प्रमाणित करते हुए गवाही दी थी। जिसके आधार पर कोर्ट ने कुकरानी समेत अन्य दोषियों को कम से कम 21 साल कठोर कारावास की सजा दी थी। कुकरानी की सजा के खिलाफ दायर याचिका पर गुजरात हाईकोर्ट ने 2018 में कुकरानी की सजा को बरकार रखा था।