नई दिल्ली: पहले केंद्र सरकार ने नए कृषि कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों के सामने शर्त रखी थी कि किसान यदि बॉर्डर से हटकर बुराड़ी स्थित निरंकारी समागम मैदान में प्रदर्शन करते हैं तो सरकार उनसे बातचीत को तैयार है। हालांकि, इसके बाद केंद्र बैकफुट पर आई और किसानों के साथ छह दौर की बातचीत हुई, पर सभी वार्ताएं बेनतीजा रही। अब फिर से किसानों को एक पत्र भेजा गया है। किसान मज़दूर संघर्ष कमेटी के श्रवण सिंह पंढेर ने कहा है कि केंद्र ने मंगलवार को एक पत्र भेजा है। जिसमें कहा है कि किसान कृषि कानून वापस लेने वाली बात से पीछे हटकर संशोधन करने के लिए बात करना चाहते हैं तो समय और तारीख दें। किसानों ने आरोप लगाया है कि केंद्र किसान संगठनों पर चक्रव्यूह रचने का प्रयास कर रही है।
किसान आंदोलन का आज 27वां दिन है। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने बीते महीने की 26 तारीख से अपना प्रदर्शन शुरू किया था। दिल्ली चलो नारों के साथ किसानों ने दिल्ली कूच किया था। अब इस आंदोलन के करीब एक महीने होने को हैं। मगर अभी तक कोई समाधान निकलता नहीं दिख रहा है। अगले दौर की बातचीत को लेकर सरकार द्वारा भेजे गये प्रस्ताव पर किसान संगठनों की आज बैठक थी। इसके बाद किसानों ने केंद्र को लेकर ये बाते कही है।
गौरतलब है कि सरकार ने पत्र लिखकर किसानों को एकबार फिर बातचीत के लिए आमंत्रित किया है और अपनी पसंद की तारीख बताने को कहा है। केंद्र सरकार ने 40 किसान संगठनों को संबोधित करते हुए एक पत्र लिखा था और उन्हें बातचीत के लिए आमंत्रित किया था। सरकार ने ये भी कहा था किसान संगठन अपनी पसंद से कोई भी तारीख चुन सकते हैं। ऐसे में इस बात की उम्मीद जताई जा रही थी कि किसान संगठनों की आज की बैठक में केंद्र सरकार के प्रस्ताव को लेकर कोई फैसला लिया जा सकता है। लेकिन, किसानों के सामने केंद्र ने फिर से एक नई शर्त रख दी है। दरअसल, किसान तीनों कृषि सबंधी कानून को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं जबकि केंद्र संशोधन की बात कह रही है।
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