सोनभद्र जैसे अति पिछड़े जनपद को शामिल ना करने से आक्रोश
लखनऊ
बे मौसम बरसात और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को मात्र 13 करोड़ की राशि राहत के लिए देना किसानों के साथ मजाक है. सरकार ने 33% क्षति की शर्त लगाकर बहुत सारे किसानों को मुआवजा राशि से वंचित कर दिया है. अभी प्रदेश के महज 6 जिलों को ही आपदा राहत में शामिल किया गया है. सोनभद्र जैसे अति पिछड़े जिले को भी शामिल नहीं किया गया है. सोनभद्र में इस प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों की फसल ही नहीं नष्ट हुई है अपितु आदिवासियों के जीवन में आय का महत्वपूर्ण साधन महुआ आदि वन उपजों का भी भारी नुकसान हुआ है. सरकार ने आम जैसे फलों का नुकसान भी राहत में नहीं लाया है. ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय अध्यक्ष एस. आर. दारापुरी ने कहा की सरकार को प्रदेश में आई इस प्राकृतिक आपदा में किसानों की तत्काल मदद करनी चाहिए. बिना किसी शर्त के उनके नुकसान हुए गेहूं, मटर, चना, सरसों, अरहर और वन उपज महुआ व आम जैसे फसलों का संपूर्ण मुआवजा देना चाहिए. उन्होंने इस आपदा में सरकार के कृषि मंत्री द्वारा बीमा कंपनियों के जरिए मुआवजा दिलाने की घोषणा पर भी चिंता जाहिर की. क्योंकि आमतौर पर बीमा कंपनियों द्वारा किसानों को मुआवजा नहीं दिया जाता है. उन्होंने कहा कि सरकार को किसानों के मुआवजे को बीमा कंपनियों के ऊपर छोड़ने की जगह खुद जवाबदेही लेनी चाहिए.
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