लखनऊ

पूंजीपतियों के इशारे पर किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश कर रही है सरकार: माले

लखनऊ: भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने रसोई गैस (एलपीजी) की कीमतों में एक महीने के भीतर 100 रु प्रति सिलेंडर बढ़ोतरी की कड़ी आलोचना की है। पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार कोरोना आपदा के दौर में भी महंगाई बढ़ा रही है। महामारी में बेरोजगारी व तंगी से आम आदमी की आर्थिक हालत वैसे ही खस्ता है। ऐसे में यह मूल्यवृद्धि परेशान करने वाली है। पार्टी ने इसे वापस लेने की मांग की है।

राज्य सचिव सुधाकर यादव ने बुधवार को जारी बयान में कहा कि मोदी-योगी की सरकार गरीबों पर भारी है। उन्होंने कहा कि आर्थिक तंगी व कर्ज से परेशान होकर बांदा व हमीरपुर जिलों में दो प्रवासी मजदूर व एक किसान समेत छह व्यक्तियों द्वारा आत्महत्या कर लेने की मीडिया में खबर आई है। यह यूपी में कथित रामराज्य व विकास की हकीकत है।

कामरेड सुधाकर ने कहा कि दिल्ली बार्डर पर तीन हफ्ते से आंदोलनरत किसान कृषि कानूनों की वापसी को लेकर कड़ाके की ठंड में अपनी जानें दे रहे हैं, मगर केंद्र सरकार उनकी आवाज सुनने के बजाय उनके आंदोलन को बदनाम करने, उसमें फूट डालने और उसे कमजोर करने की नीति अख्तियार किये हुए है। किसान आंदोलन को विपक्ष की साजिश बताकर मोदी सरकार और भाजपा दरअसल अपनी कारपोरेट-परस्ती पर पर्दा डालने की कोशिश कर रही हैं, जो छुपाये नहीं छुप रही है। उन्होंने कहा कि घर-गृहस्थी-खेती छोड़कर सड़क पर उतरे किसान कोई बच्चे नहीं, जो किसी के बहलावे में आ जायें। किसानों को कोई भ्रम नहीं है कि नई कृषि नीतियां पूंजीपतियों और व्यापारियों के फायदे के लिए बनाईं गईं हैं और खेती-किसानी बचाने के लिए इन्हें रद्द किया जाना ही एकमात्र रास्ता है।

माले राज्य सचिव ने कहा की किसान आंदोलन से डरी केंद्र की राजग सरकार ने कोरोना की आड़ लेकर संसद का शीतकालीन सत्र बुलाने से हाथ खींच लिया है। जब कोरोना चरम पर था, तो संसद का पिछला सत्र हुआ था। जाहिर है, सरकार को आशंका है कि सड़क पर चल रहे किसान आंदोलन की धमक कहीं संसद के भीतर न पहुंच जाए। सरकार ट्रैक्टरों पर टोल टैक्स लगाने की सोच रही है, क्योंकि इस आंदोलन में किसानों के आने-जाने के प्रमुख साधन ट्रैक्टर ही हैं। आंदोलन के समर्थन में उतरे दलों व संगठनों पर दमन तेज हो गया है। संघ व भाजपा किसान आंदोलन के खिलाफ दुष्प्रचार के लिए सक्रिय हो गई हैं। माले नेता ने कहा कि सरकार के इन तिकड़मों व चालों से किसान आंदोलन रुकने वाला नहीं है। आंदोलन नित तेज हो रहा है और उसके समर्थन का दायरा भी विस्तारित हो रहा है।

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