नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनावों के मद्देनजर शुक्रवार को एक अहम फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अहम फैसले में कहा कि केंद्र या राज्य सरकारों से जुड़े किसी भी व्यक्ति को चुनाव आयुक्त नियुक्त नहीं किया जा सकता है। कोर्ट के मुताबिक, चुनाव आयुक्त स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला गोवा सरकार के सचिव को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार देने को लेकर सुनाया है।
सुप्रीम कोर्ट ने गोवा सरकार पर सवाल उठाया है. जस्टिस आरएफ नरीमन ने कहा कि लोकतंत्र में चुनाव आयोग की स्वतंत्रता से समझौता नहीं किया जा सकता. सत्ता में बैठे एक सरकारी अधिकारी को राज्य चुनाव आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार सौंपना संविधान का मखौल उड़ाना है. यह एक परेशान करने वाली तस्वीर है कि एक सरकारी कर्मचारी, जो सरकार के साथ रोजगार में था, गोवा में चुनाव आयोग का प्रभारी है. सरकारी अधिकारी ने पंचायत चुनाव कराने के संबंध में उच्च न्यायालय के फैसले को पलटने का प्रयास किया.
जस्टिस रोहिंटन एफ नरीमन और बीआर गवई की पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 142 और 144 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए यह निर्देश जारी किया। पीठ ने कहा कि गोवा में जिस तरह ये राज्य चुनाव आयुक्त का पद सरकार के सचिव को दिया गया है वह काफी परेशान करने वाला है। एक सरकारी कर्मचारी, जो सरकार के साथ रोजगार में था, गोवा में चुनाव आयोग का प्रभारी है। सरकारी अधिकारी ने पंचायत चुनाव कराने के संबंध में हाई कोर्ट के फैसले को पलटने का प्रयास किया।
खंडपीठ ने कहा कि चुनाव आयुक्तों को स्वतंत्र व्यक्ति होना चाहिए। पीठ ने आदेश दिया कि इसके बाद ऐसे किसी भी व्यक्ति को केंद्र या राज्य सरकार द्वारा चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त नहीं किया जाएगा। गोवा सरकार ने हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी जिसने राज्य के पांच नगरपालिकाओं के चुनाव रद्द कर दिए थे। कानून सचिव को गोवा चुनाव आयुक्त के रूप में अतिरिक्त प्रभार दिया गया था।
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