टीम इंस्टेंटख़बर
सुप्रीम कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए एनडीए एग्जाम में लड़कियों को बैठने की इजाज़त दे दी है.

आरआईएमसी में लड़कियों को प्रवेश दिए जाने के बारे में सीनियर एडवोकेट ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट में कहा, “फिलहाल हम लड़कियों को आरआईएमसी में लेने की स्थिति में नहीं हैं। आरआईएमसी के छात्रों के लिए एनडीए की परीक्षा देना आवश्यक होता है। उनका अलग बोर्ड है। यह एनडीए का फीडर कैडर है और एनडीए में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे से जुड़ा है।”

इस तर्क पर जस्टिस कौल ने कहा, “आप कहते हैं कि आरआईएमसी 100 साल पुराना है तो आप 100 साल के लैंगिक भेदभाव का अभी भी अनुपालन कर रहे हैं? उन्होंने पहले ही अंतरिम आदेश के जरिए लड़कियों को एनडीए में प्रवेश की अनुमति दे दी है।” इस पर जवाब देते हुए भाटी ने कहा कि आरआईएमसी के छात्रों को आवश्यक तौर पर एनडीए में शामिल होना है। वह कक्षा 8 के छात्रों को प्रवेश देते हैं उन्हें विशेष रूप से ट्रेनिंग दी जाती है। यदि लड़कियों को भी इसमें प्रवेश लेना है तो उन्हें भी नियमित स्कूली शिक्षा छोड़नी पड़ेगी।

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने एनडीए, सैनिक स्कूलों, आरआईएमसी में महिलाओं को प्रवेश न देने के विचार पर सेना को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि आप इस मामले पर न्यायपालिका को आदेश देने के लिए बाध्य कर रहे हैं। इससे अच्छा होगा कि आप यानी सेना स्वयं इसके लिए दिशानिर्देश तैयार करें। हम उन लड़कियों को एनडीए की परीक्षा में बैठने की अनुमति दे रहे हैं जिन्होंने कोर्ट में अर्जी लगाई है।

फिलहाल कोर्ट ने लड़कियों को ‘अंतरिम उपाय’ के रूप में एनडीए की परिक्षा देने की अनुमति दी है। लड़कियों के प्रवेश के कारणों पर 5 सितंबर को नीति के तौर पर विचार किया जाएगा।