नई दिल्ली:
मंगलवार को गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव नगर निगम में बहुमत से पास हो गया। गाजियाबाद नगर निगम की बैठक में दो नए नाम ‘गजनगर’ और ‘हरनंदी नगर’ सुझाए गए हैं।अब अगला कदम उत्तर प्रदेश सरकार की मंजूरी होगी। गाजियाबाद नगर निगम की बैठक में नाम बदलने का प्रस्ताव पास होते ही सदन में जय श्री राम, वंदे मातरम और भारत माता की जय के नारे गूंजने लगे। जानकारी के मुताबिक, गाजियाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव का सिर्फ दो पार्षदों ने विरोध किया। अब गाजियाबाद का नाम बदलने का प्रस्ताव उत्तर प्रदेश सरकार को भेजा जाएगा। आख़िरकार इस शहर का नाम भी वहीं से तय होगा।

उत्तर प्रदेश में अब तक कई रेलवे स्टेशनों और जिलों के नाम बदले जा चुके हैं। नवंबर 2023 में एक बार फिर राज्य के एक महत्वपूर्ण जिले का नाम बदलने की चर्चा तेज हो गई। इस बार अलीगढ़ का नाम बदलकर हरिगढ़ करने की तैयारी की जा रही है। दरअसल, अलीगढ़ नगर निगम में अलीगढ़ का नाम बदलने का प्रस्ताव लाया गया था। इस प्रस्ताव को नगर निगम ने पास कर दिया है। ऐसे में अलीगढ़ को हरिगढ़ बनाने की राह और भी आसान हो गई है।

दरअसल, गाजियाबाद का नाम बदलने को लेकर दूधेश्वर नाथ मंदिर के मुख्य पुजारी महंत नारायण गिरि ने साल 2022 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक ज्ञापन सौंपा था। इसे लेकर महंत ने कहा था कि मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया कि वह हमारी मांगों पर गौर करेंगे। गिरि ने इन दो नामों के महत्व को समझाया, गाजियाबाद के इतिहास को हस्तिनापुर से जोड़ा (जो कि केवल 40 किमी दूर है), और साथ ही क्षेत्र में हाथियों की उपस्थिति के कारण सुझाव दिया कि गजपुरा या गजनगर नाम उपयुक्त हो सकते हैं। गिरि ने यह भी बताया कि ‘हरनंदी नगर’ हिंडन नदी को संदर्भित करता है, जो शहर से होकर बहती है।

गाजियाबाद के नाम की उत्पत्ति 1739 में हुई जब नादिर शाह ने आक्रमण किया और इस क्षेत्र को बाधित कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप 1740 में गाजी-उद-दीन ने गाजीउद्दीननगर की स्थापना की। बाद में ब्रिटिश शासन के दौरान 1864 में रेलवे के आगमन के साथ इसका नाम छोटा करके गाजियाबाद कर दिया गया।