नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर संसद में पहुंचे। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, वित्त राज्य मंत्री और कॉर्पोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने UnionBudget 2021-22 पेश करने से पहले राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रपति कोविंद से मुलाकात की।

कोरोना वायरस महामारी के बीच, अपने ‘बही खाते’ की जगह, उन्होंने एक टैबलेट में दस्तावेजों को ले जाने का विकल्प चुना, जिसे राष्ट्रीय प्रतीक के साथ लाल रंग के आवरण में लपेटा गया हैं। लाल रंग, जिसे शुभ माना जाता है, प्रेम, ऊर्जा, ध्यान और शक्ति सहित सबसे मजबूत भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है।

निर्मला सीतारमण के इस बजट से देश के सभी लोगों को काफी उम्मीदें है। आम जनता यह आस लगाए बैठी है कि निर्मला सीतारमण अपने पिटारे से क्या क्या देंगीं। माना जा रहा है कि खासकर कोरोना वायरस की वजह से देश की बेपटरी हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए इस बजट में कई अहम ऐलान हो सकते हैं।

कोविड-19 महामारी के बीच वित्त वर्ष 2021-22 के ऐतिहासिक बजट में सरकार के समक्ष अर्थव्यवस्था को तात्कालिक प्रोत्साहन देने के साथ ही लंबे भविष्य के लिए मजबूती प्रदान करने की चुनौती होगी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इन दोनों की बीच कितना संतुलन बना पाती हैं या नहीं यह देखना महत्वपूर्ण होगा।

सरकार का कहना है कि महामारी का सबसे बुरा दौर समाप्त हो चुका है और अर्थव्यवस्था अब पटरी पर आ रही है। संसद में पिछले सप्ताह पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 प्रतिशत की गिरावट रहेगी जबकि अगले वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था तेजी से वापसी करेगी और जीडीपी में 11 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान है। यदि ऐसा होता है तब भी दो साल में जीडीपी में मात्र 2.4 प्रतिशत की वृद्धि होगी।

मोदी सरकार निर्भीक फैसलों के लिए जानी जाती है। पिछले तीन महीने में अप्रत्यक्ष कर संग्रह बढ़ने के बावजूद मौजूदा वित्त वर्ष राजस्व संग्रह में गिरावट तय है। सरकार अपना विनिवेश लक्ष्य पूरा करने के कहीं आसपास भी नहीं है। वर्ष 2020-21 के बजट में 2.14 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का लक्ष्य रखा गया था जबकि 19,499 करोड़ रुपये का ही विनिवेश हो पाया है।

ऐसे में सरकार के पास राजस्व बढ़ाने के लिए करों और शुल्कों में बढ़ोतरी का एक मात्र विकल्प है। दूसरी ओर कारोबार और माँग को बढ़ावा देने की भी उससे अपेक्षा की जा रही है। सोमवार को पेश होने वाले बजट में आम लोगों और छोटे करदाताओं पर कर का बोझ बढ़ने की संभावना नहीं है, लेकिन अमीरों पर कर बढ़ाया जा सकता है। साथ ही नये शुल्क लगाकर और मौजूदा शुल्कों में बढ़ोतरी कर राजस्व संग्रह बढ़ाने के उपाय किये जा सकते हैं। बजट से इतर भी सरकार के पास वस्तु एवं सेवा करों में बदलाव का विकल्प रहेगा।

तात्कालिक उपायों में सार्वजनिक निवेश की जरूरत है, लेकिन सरकार इसके बजाय निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहनों की घोषणा कर सकती है। ‘आत्मनिर्भर भारत’ पैकेज से सरकार की मंशा साफ है कि वह दीर्घावधि विकास पर पहले से कहीं अधिक ध्यान देगी। दूरगामी प्रभाव वाले और ज्यादा रिटर्न देने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने पर बजट में फोकस हो सकता है। इसमें स्वास्थ्य, निर्माण, प्रौद्योगिकी और कृषि में आधुनिकीकरण पर अधिक बल दिया जायेगा।