टीम इंस्टेंटखबर
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को उनके और अन्य पुलिस अधिकारियों के खिलाफ दर्ज वसूली के एक मामले में बुधवार को एक मजिस्ट्रेटी अदालत ने ‘‘फरार घोषित’’ किया।

मामले की जांच कर रही मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने यह कहते हुए भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के अधिकारी सिंह को ‘‘फरार घोषित’’ किए जाने का अनुरोध किया था कि उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद भी उनका पता नहीं लगाया जा सका है।

दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 82 के तहत अदालत द्वारा उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने पर आरोपी को हाजिर होने की आवश्यकता होती है अगर उसके खिलाफ जारी वारंट की तामील नहीं हो पाई है। धारा 83 के तहत उद्घोषणा प्रकाशित किए जाने के बाद अदालत एक आरोपी की संपत्ति जब्त करने का आदेश दे सकता है।

गोरेगांव थाने में दर्ज मामले में पूर्व सहायक पुलिस निरीक्षक सचिन वाजे भी आरोपी है। परमबीर सिंह के अलावा सह आरोपी विनय सिंह और रियाज भट्टी को भी अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट एस बी भाजीपले ने ‘फरार घोषित’ किया है।

रियल एस्टेट डेवलपर और होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि आरोपियों ने दो बार और रेस्तरां पर छापेमारी नहीं करने के लिए उनसे नौ लाख रुपये की वसूली की। उन्होंने दावा किया था कि ये घटनाएं जनवरी 2020 और मार्च 2021 के बीच हुई थीं।