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लद्दाख विवाद पर भारत-चीन कमांडरों के बीच हुई पांच घंटे की मैराथन बैठक

नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी तनाव के बीच शनिवार को भारत और चीन के सैन्य कमांडरों के बीच बैठक हुई। ये बैठक करीब साढ़े पांच घंटे तक चली। इसके बाद भारतीय सेना के प्रवक्ता ने कहा, “दोनों देश सैन्य और राजनयिक चैनलों के जरिए आगे भी बातचीत जारी रखेंगे। अभी इसके बारे में कयासों के आधार पर कुछ कहना ठीक नहीं होगा, इसलिए मीडिया को भी ऐसी रिपोर्टिंग से बचने की सलाह दी जाती है।” भारत की तरफ से इस बैठक का नेतृत्व लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह कर रहे थे। चीन की तरफ से मेजर जनरल लियु लीन नेतृत्व कर रहे थे। चीन के मोल्डो में बैठक सुबह साढ़े 11 बजे से शाम 5 बचे तक चली।

सीमा पर भिड़े थे दोनों देशों के सैनिक
पिछले दिनों भारत और चीन के सैनिक पांच मई को पूर्वी लद्दाख के पैंगोंग त्सो क्षेत्र में आपस में भिड़ गए थे और उनमें लोहे की छड़,लाठी-डंडे चले और पथराव भी हुआ था। इस घटना में दोनों पक्षों के सैनिक घायल हुए थे। यह हिंसा अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष अलग हुए लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकूला दर्रे के पास भारतीय और चीनी सैनिक आपस में भिड़ गए थे।

अब तक 10 राउंड की हुई बातचीत
पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध को लेकर अभी तक दोनों सेनाओं के बीच 10 राउंड तक की बातचीत हो चुकी है। 2 जून को भी दोनों सेनाओं के अधिकारियों के बीच इस मसले पर बातचीत हुई थी लेकिन अभी तक किसी भी बातचीत का कोई खास नतीजा सामने नहीं आया है। हालांकि, इस बीच उस क्षेत्र में दोनों सेनाएं कुछ दूर तक पीछे जरूर हटी हैं। अभी भी टकराव की नौबत खत्‍म नहीं हुई है। चीन ने तिब्बत में सैन्य अभ्यास कर अपनी सेना के पांच हजार जवानों को उत्‍तरी लद्दाख सेक्‍टर में तैनात कर दिया है। इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी तैनाती बढ़ाई है।

क्या है विवाद
चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। बता दें कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।

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