ज़ीनत क़िदवाई

डेमोक्रेट उम्मदीवार जो बायडन, रिपब्लिकन प्रत्याशी डोनल्ड ट्रम्प के साथ अपनी अंतिम चुनावी डिबेट में भी राष्ट्रीय स्तर पर अपनी बढ़त बाक़ी रखने में सफल रहे और अगर अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव में जनता की राय और प्रजातंत्र को कसौटी माना गया तो फिर बायडन की जीत की प्रतीक्षा में रहना चाहिए।

रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और वर्तमान राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रम्प और डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रत्याशी जो बायडन के बीच चुनावी प्रतिस्पर्धा के अंतर्गत दूसरी और अंतिम डिबेट आयोजित हुई जिसकर टीवी पर सीधा प्रसारण किया गया। चूंकि अमरीका के बहुत से मतदाता पहले ही अपने उम्मीदवार का निर्धारण कर चुके हैं और व्यवहारिक रूप से पोस्टल वोटिंग भी शुरू हो चुकी है इस लिए सर्वेक्षणों के अनुसार इस डिबेट का चुनावी प्रक्रिया पर बहुत ज़्यादा असर नहीं पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि सर्वेक्षणों के अनुसार जो बायडन को ट्रम्प पर 9 से 12 प्रतिशत की जो बढ़त हासिल थी, वह अब भी बाक़ी है और अगर चुनाव में जीत की कसौटी जनता के वोट और प्रजातंत्र है तो फिर बायडन को ही जीतना चाहिए, हां अगर को धांधली होती है, विशेष कर इलेक्टोरल वोटों में तो फिर बात अलग है।

ट्रम्प ने अब तक अपने सभी स्वदेशी व विदेशी कार्ड इस्तेमाल कर लिए हैं और हर कुछ समय बाद जो हथकंडे वह अपनाते हैं, उनका भी कोई ख़ास प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है। उनका आख़री हथकंडा यह दावा था कि ईरान व रूस ने ट्रम्प के समर्थकों के नाम पर डेमोक्रेट मतदाताओं को धमकाया है। इस दावे के माध्यम से ट्रम्प ने बायडन के मतदाताओं की संख्या कम करने की कोशिश की। ट्रम्प की चुनावी टीम की हरकतों के मद्देनज़र यह बात बिलकुल भी अप्रत्याशित नहीं थी कि वह ट्रम्प के समर्थन को बढ़ाने के लिए ईरान व रूस पर आरोप लगाने का हथकंडा अपनाए लेकिन यह हथकंडा इतना जल्दबाज़ी में तैयार किया गया था कि इसे मानना किसी के लिए भी संभव नहीं था, यहां तक कि ट्रम्प के समर्थक मीडिया में इसमें पाए जाने वाले विरोधाभासों का जवाब नहीं दे सके।

ट्रम्प के इस हथकंडे की नाकामी के कई कारण थे। एक तो यह कि इसमें ईरान व रूस पर अमरीका के राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों का प्रभाव समान दिखाया गया है जबकि आम तौर पर यह माना जाता है कि रूस के हित ट्रम्प के जीतने में हैं जबकि ईरान का फ़ायदा ट्रम्प के हारने में है। इसी वजह से राष्ट्रपति चुनाव के दोनों प्रत्याशियों के बीच अंतिम डिबेट पर यह हथकंडा प्रभाव नहीं डाल सका और जो स्थिति डिबेट से पहले की थी, वही अब भी बाक़ी है जिसका मतलब यह है कि बायडन अब भी ट्रम्प से कम से कम 10 प्रतिशत ज़्यादा वोट हासिल करेंगे।