हसन ज़ैदी, जर्नलिस्ट, कार्टूनिस्ट

लखनऊ में स्कूलिंग, मसकट और लंदन में आगे की पढ़ाई, फॉरेन रेडियो में जॉब के साथ मैनेजमेंट की पढ़ाई। इसके बाद एक्टिंग और क्रिकेट का शौक उन्हें वापस इंडिया लेकर आया। पिछले 18 साल में टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में हसन ने अपनी अलग पहचान बनाई है। हसन इन दिनों सीरियल ‘बेहद 2’ में नजर आ रहे हैं।

जब हमने फिल्मी दुनिया में कदम रखने की सोची थी उस वक्त न ही सोशल मीडिया थी और न ही यूपी में कोई जरिया। आज नए कलाकारों के पास इंस्टाग्राम, फेसबुक और यू ट्यूब जैसे वह प्लेटफॉर्म हैं जो उनके हुनर को लोगों तक पहुंचा रहे हैं। वह इनके जरिए इतने पहचान में आ जाते हैं कि उनके लिए रास्ते कुछ आसान हो जाते हैं। अब अगर यूपी में फिल्म इंडस्ट्री बनने की कवायद शुरू हो चुकी है तो सबको उसका स्वागत करना चाहिए। यह कहना है फिल्म टीवी ऐक्टर हसन जैदी का। पिछले करीब 18 साल में हसन ने ‘घर एक सपना’, ‘हमने ली है शपथ’, ‘तुम साथ हो जब अपने’, ‘खोटे सिक्के’, ‘रिश्ता डॉट कॉम’, ‘पाउडर’ जैसे टीवी शोज करने के साथ विक्रम भट्ट की फिल्म ‘हॉरर स्टोरी’ सनी देओल के साथ ‘ढिश्कियाऊं’ और ‘सरगोशियां’ जैसी फिल्मों में भी काम किया है। उत्तर प्रदेश के पिहानी और लखनऊ से खास रिश्ता रखने वाले हसन इन दिनों टीवी पर ‘बेहद 2’ में नजर आ रहे हैं। करीब डेड़ साल बाद हसन अपने घर आए तो मैंने अपने हमनामी से एक ख़ास मुलाक़ात की:

बीमार और जरूरतमंदों की मदद
वैसे तो मैं साल में दो से तीन बार घर आता हूं लेकिन इस बार कोरोना और लॉकडाउन की वजह से डेढ़ साल बाद आना हुआ। पूरा टाइम मुम्बई में ही था और जरूरतमंदों की मदद में ही ज्यादातर वक्त गुजरा। मुम्बई में मेरा घर मड-आइलैंड पर है। वहां रहने वाले बुजुर्ग, बीमार, बच्चे जो घर से बाहर नहीं निकल सकते थे हम उन्हें हर तरह से मदद कर रहे थे। मजूदर वर्ग भी वहां फंसे हुए थे। जब काम शरू हुआ मुम्बई में तो थिएटर और ऑडिबल प्लेज करने शुरू किए। इन दिनों भी मेरा एक ऑडिबल प्ले पर काम चल रहा है। जाकर पूरा करना है। मैंने एक नाटक भी लिखा था “कौन सलीम किसकी अनारकली”। इसका मंचन हो भी चुका है और काफी पॉपुलर भी हुआ। अब इसके शोज हम दोबारा से पूरे इंडिया में करने वाले हैं।

सेहत सबसे जरूरी
इन दिनों मेरा शो “बेहद 2” चल रहा है। लंबे ब्रेक के बाद मैंने इस शो से टीवी पर वापसी की और इस शो को करके मजा भी आ रहा है। यह शो अब सीरिया, इजिप्ट, ईराक, रोमानिया में भी टेलिकास्ट हो रहा है। इसकी वजह से हमें इसका सोशल मीडिया पर काफी प्रमोशन करना पड़ रहा है। इसके अलावा नेटफ्लिक्स के साथ एक दो प्रोजेक्ट्स हैं। इस वक्त तो सबसे ज्यादा जिस बारे में देखना और सोचना है वह है हेल्थ। जो भी काम आ रहा है पहले देखना पड़ता है कि सेफ्टी है कि नहीं। क्योंकि मेरे घर में मेरी बुजुर्ग मां भी हैं और मैं अपनी या घर वालों की सेहत के साथ किसी भी तरह का रिस्क नहीं लेना चाहता हूं।

यूपी में बढ़ेगा रोजगार
जहां तक सवाल यूपी में बनने वाली फिल्म इंडस्ट्री का है तो किसी भी अच्छे काम की शुरुआत में ही निगेटिविटी नहीं आनी चाहिए। जब एक फिल्म कहीं शूट होती है तो कई लोगों को रोजगार मिलता है। फिर वह चाहे लोकल प्रोडक्शन के लोग हों, टूरिज्म हो या फिर कलाकार। और जब एक पूरी इंडस्ट्री बनेगी तो प्रदेश की इकनॉमी को फाएदा तो होगा ही। मुम्बई जाकर फिल्मों में किस्मत आजमाने वालों को यहीं उनके प्रदेश में मौके मिलेंगे। यूपी में बहुत टैलेंट है इसमे कोई शक नहीं। यूपी के गीतकार हों, संगीतकार हों या फिर कलाकार हर क्षेत्र में यूपी वालों का बहुत अच्छा दखल है। अब यूपी में इंडस्ट्री बनने के बाद उन्हें यहीं काम के मौके मिलेंगे। जब मैं बाहर से पढ़ाई करने के बाद मुम्बई पहुंचा तो मुझे कुछ नहीं पता था कि कैसे काम शुरू करना है। लेकिन मेरे साथ मेरे घरवालों का सहयोग था, हमें रहने खाने की परेशानी नहीं थी तो मेरे लिए मुश्किल नहीं था, लेकिन कई ऐसे नए कलाकार हैं जिन्हें मुम्बई पहुंचकर रहने और खाने की काफी दिक्कतें आती हैं।