नई दिल्ली: बिजली बिल नहीं चुका पाने पर विभाग द्वारा की गई कुर्की से दुखी होकर आटा चक्की चलाने वाले 35 वर्षीय एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। यह घटना मध्यप्रदेश के छतरपुर से 17 किलोमीटर दूर मातगुवां में बुधवार को हुई। आत्महत्या करने से पहले इस किसान से एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने लिखा है, ‘‘मेरे मरने के बाद मेरा शरीर शासन को दे दें, ताकि मेरा एक-एक अंग बेच कर सरकार अपना कर्जा चुका ले।’’

कुर्की से थे अपमानित
मृतक के भाई लोकेन्द्र राजपूत ने बताया, ‘‘मेरे भाई मुनेंद्र राजपूत ने बुधवार दोपहर लगभग एक बजे अपने खेत पर लगे आम के पेड़ पर फांसी का फंदा डालकर आत्महत्या कर ली। बिजली बिल साल भर से ना भरने की वजह से बिजली विभाग ने कुर्की वारंट जारी कर सोमवार को उसकी चक्की और मोटरसाइकिल ज़ब्त कर लिया। उन्हें अपमानित किया गया। वह निवेदन करते रहे कि कुछ वक्त दे दो पर उनकी एक नहीं सुनी गई।’’

चक्की से हो रहा था गुज़ारा
उन्होंने कहा ‘‘ कोविड-19 के लिए मार्च में लगे लॉकडाउन एवं इस लॉकडाउन के खुलने के बाद मुनेंद्र को चक्की से पर्याप्त आमदनी नहीं हो रही थी। खरीफ की फसल हुई नहीं थी और गुजारा करने के लिए वह चक्की चलाते थे।’’

खेत में पेड़ से लटक लगाई फांसी
लोकेन्द्र ने बताया कि इस वर्ष चक्की बहुत ही कम चलने के बाद भी बिजली विभाग वाले रीडिंग की बजाय साल भर से औसतन बिल दे रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘अधिक बिल और फसल ना होने से उनके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था।| ऐसे में उन्होंने खेत पर पेड़ से फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली।’’

सुसाइड नोट में यह लिखा
मुनेंद्र राजपूत ने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘‘मेरी तीन पुत्री और एक पुत्र है। किसी की उम्र 16 वर्ष से अधिक नहीं है। मेरी परिवार से प्रार्थना है कि मेरे मरने के उपरान्त मेरा शरीर शासन के सुपुर्द कर दें, जिससे मेरे शरीर का एक-एक अंग बेच कर शासन का कर्जा चुक सके।’’ इसमें उसने कर्ज ना चुका सकने का कारण भी लिखा है, ‘‘मेरी एक भैंस करंट लगने से मर गई, तीन भैंस चोरी हो गई, आषाढ़ में (खरीफ फसल) खेती में कुछ नहीं मिला, लॉकडाउन में कोई काम नहीं और ना ही चक्की चली। इस कारण हम बिल नहीं दे सके।’’