टीम इंस्टेंटखबर
उत्तर प्रदेश के पूर्व राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने बुलंदशहर के सिकंदराबाद में मीडिया से बात करते हुए कहा कि मोदी सरकार इंसानियत को बांटने का काम कर रही है, जब कोई सरकार नाकाम हो जाती है तो लोगों को मजहब की अफीम चटाई जाती है, ताकि बुनियादी चीजों की मांग न करे. पूर्व राज्यपाल ने कहा कि सरकार से लोग रोजगार और सुविधा न मांगे इसलिए लोगों को धर्म में बांटा जा रहा है.
डॉ. अजीज कुरैशी ने कहा, “दुर्भाग्य की बात ये है कि जो हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री हैं, उनकी तरफ से ऐसे लोगों की निंदा करने के लिए एक शब्द नहीं आता है.” उन्होंने दावा किया कि अयोध्या का फैसला आस्था की बुनियाद पर हुआ, कानून के मुताबिक नहीं.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर देश की एक बड़ी आबादी मानती है कि कानून के हिसाब से सारे सबूत जो थे, वो मुसलमानों के हक में थे.” उन्होंने कहा, “मैं ये बात बोल रहा हूं कि मुसलमानों ने फिर भी मान लिया कि कोर्ट का फैसला है. एक मुसलमान ने नहीं कहा है कि राम मंदिर नहीं बनना चाहिए. बस बात ये थी कि राम मंदिर बने, लेकिन जो बाबरी मस्जिद जो थी, उसका जो ढांचा जो था, वह महफूज रहे और आगे मंदिर बना लेते.”
उन्होंने कहा कि नमाज तो पहले ही बंद करवा दी गई थी, बाकी निशानी के तौर पर वो बिल्डिंग रहती और मंदिर बना लेते. दूसरी तरफ ज्ञानवापी के मुद्दे पर पूर्व राज्यपाल ने कहा कि अभी कोर्ट का फैसला आना बाकी है, जो भी फैसला आएगा, उसे मानना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि मामले को जैसे पेश किया जा रहा है, ऐसा नहीं है.
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