नई दिल्ली: केरल में लगातार अपनी ज़मीन तलाश रही भारतीय जनता पार्टी को इस बार भी मायूसी हाथ लगी, रूझानों के अनुसार भाजपा को केवल 3 सीटों पर बढ़त है। अगर यह रूझान नतीजों में बदल जाते हैं, तो भाजपा पिछले विधानसभा चुनावों से केवल 2 सीटें ही ज्यादा जीत पाएगी। जबकि इस बार उसने राज्य में अपनी पकड़ बनाने के लिए लव जेहाद को नए रूप में पेश कर ईसाई वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश की थी। इसके साथ ही भाजपा ने मेट्रो मैन ई-श्रीधरन को भी राजनीति में लाकर बड़ा दांव खेला था। लेकिन भाजपा के सारे दांव नाकाम हो गए, हालांकि ई-श्रीधरन अपनी सीट पर बढ़त बनाए हुए हैं।

लेफ्ट की फिर सरकार
अभी तक के रूझानों के अनुसार लगातार दूसरी बार एलडीएफ (वाम दलों का गठबंधन) सरकार बनाने जा रहा है। उसे रूझानों में बहुमत मिल गया है और वह 91 सीटों पर आगे हैं। जबकि कांग्रेस के लिए यह परिणाम बड़ा झटका है। क्योंकि सबसे ज्यादा उसे केरल से ही उम्मीदें थी। लेकिन उसके नेतृत्व वाला गठबंधन केवल 46 सीटों पर आगे है।

नहीं चला दांव
केरल में भाजपा ने इस बार लव जिहाद मुद्दे को बड़ी आक्रामकता से उठाया था। चुनावों में भाजपा ने हिंदू और ईसाई मतदाताओं को लुभाने के लिए लव जिहाद का भरपूर इस्तेमाल किया। अपने चुनावी घोषणापत्र में उसने उत्तर प्रदेश और अन्य भाजपा शासित राज्यों की तरह लव जिहाद के खिलाफ कानून बनाने का वादा भी किया था। लेकिन यह दांव रूझानों में फेल होता नजर आ रहा है। भाजपा नेता दबीं जुबान में कहते हैं कि हमें राज्य में ज्यादा चमत्कार की कभी उम्मीद नहीं थी। नतीजे आने के बाद वोट प्रतिशत से पता चलेगा कि राज्य में हम किस तरफ जा रहे हैं।