• 50 लाख युवाओं को रोजगार से जोड़ने का मिशन रोजगार में पहले की फ्लाप घोषणाओं से कोई फर्क नहीं

राजेश सचान, संयोजक युवा मंच

हम सभी अभूतपूर्व रोजगार संकट से वाकिफ ही हैं। लेकिन देश में और उत्तर प्रदेश में भी इसके हल के लिए ठोस कदमों का सर्वथा अभाव दिखाई दे रहा है बावजूद इसके उत्तर प्रदेश की योगी सरकार रोजगार के मुद्दे पर प्रोपेगैंडा करने का कोई जवाब नहीं है और इस तरह से सरकारी मशीनरी और मीडिया द्वारा प्रोपैगैंडा कर रोजगार संकट से निपटने में योगी सरकार को अव्वल बताया जा रहा है। हालांकि रोजगार के मुद्दे वास्तविक स्थिति बेहद खराब है।

5 दिसंबर से योगी सरकार मिशन रोजगार शुरू कर रही है जिसमें इसी वित्तीय वर्ष में 50 लाख रोजगार से युवाओं को जोड़ने की कार्ययोजना तैयार करने की बात की जा रही है। इसमें स्वरोजगार, कौशल प्रशिक्षण व अप्रेंटिस के तहत रोजगार मिलेगा। इन कार्ययोजनाओं में कहीं से भी खाका व ठोस कदम के बजाय ऐप और डेटा बेस आदि तैयार करने संबंधी प्रचार ही ज्यादा है। इसके पूर्व भी कोरोना पीरियड में चाहें असंगठित/कैजुअल मजदूरों के लिए सवा करोड़ रोजगार (दिहाड़ी मजदूरी) देने का मामला हो या फिर एमएसएमई सेक्टर, पर्यटन आदि को उबारने का सवाल हो सिवाय प्रचार के ठोस तौर पर कार्यवाही नहीं दिखाई देती। बहुप्रचारित सवा करोड़ दिहाड़ी मजदूरों को रोजगार देने की सरकारी आंकड़ों को देखें (मनरेगा भी शामिल है) तो इसमें प्रति परिवार प्रति माह दो दिन से ज्यादा औसतन रोजगार नहीं है।

कोरोना पीरियड के पहले भी देखें तो पायेंगे कि उत्तर प्रदेश में 2018 से 2019 के दरम्यान तकरीबन बेरोजगारी की दर दुगना हो गई। दरअसल रोजगार सृजन के लिए कारपोरेट घरानों से तमाम आकर्षक ऑफर के बावजूद पूंजी निवेश के जो समझौते किये गए जिसके आधार पर अकेले लखनऊ में हुई समिट में 4.8 लाख करोड़ निवेश व 28 लाख रोजगार सृजन का आकलन पेश किया गया था ऐसे सभी समझौतों में ज्यादातर परियोजनाएं या तो अधूरी है या फिर शुरू ही नहीं हुई हैं। कमोबेश सरकारी विभागों में भर्तियों के बारे इसी तरह के हालात हैं। सरकार गठन के वक्त प्रदेश में अकेले शिक्षा महकमे में तकरीबन 4 लाख शिक्षक पद खाली थे लेकिन इनमें से एक भी पद के लिए विज्ञापन इन 3.5 साल में जारी नहीं किया गया है। पिछली सरकार की तमाम लंबित भर्तियां भी अभी तक अधर में हैं। तकनीकी विभागों में भी बड़े पैमाने पर तकनीशियन, अभियंताओं आदि बेहद महत्वपूर्ण पद खाली हैं लेकिन अमूमन विज्ञापन जारी नहीं किया गया, यहां तक कि यूपीपीसीएल में 4102 तकनीशियन पदों के विज्ञापन को ही निरस्त कर दिया गया। डिजिटल युग में सरकार एडेड माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर शिक्षक की भर्ती करने से इंकार कर रही है। दरअसल योगी सरकार ने भी आपदा में अवसर मिशन के तहत कारपोरेट हित में ही योजनाओं को अमल में लाने में अव्वल रही है।

कुल मिलाकर उत्तर प्रदेश में रोजगार मिशन के प्रोपैगैंडा के बरक्स रोजगार संकट गहराता जा रहा है। ऐसी स्थिति में ही युवा मंच बराबर मांग करता रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्रदेश में रोजगार सृजन के लिए ठोस कदम उठाये और मौजूदा रोजगार संकट के हल के लिए समग्र खाका तैयार करना चाहिए, अन्यथा प्रदेश में जारी रोजगार संकट और भयावह स्थिति में पहुंच जायेगा।