लखनऊ: श्री धन्वन्तरि जयन्ती एवं पंचम राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के अवसर पर सरोज आरोग्यम् केन्द्र में आज आयुर्वेद के आदि प्रवर्तक भगवान धन्वन्तरि का पूजन सम्पन्न हुआ इस अवसर पर अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ सम्मेलन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष डा0 शिव शंकर त्रिपाठी, भूतपूर्व निदेशक आयुर्वेद सेवाएं उ0प्र0 डा0 के0के0 ठकराल, भूतपूर्व उप निदेशक आयुर्वेद डा0 आर0एन0 मिश्रा, राजकीय आयुर्वेद महाविद्यालय की रीडर डा0 रेखा बाजपेई, सरदार पटेल आयुर्वेदिक मेडिकल कालेज की प्राचार्य डा0 अमिता चतुर्वेदी, प्रो0 अमित शुक्ला, डा0 नीरज बाजपेई, डा0 हृदया मिश्रा एवं डा0 दीपांजली त्रिपाठी सहित अनेक आयुर्वेद चिकित्सक उपस्थित थे।

इस अवसर पर डा0 शिव शंकर त्रिपाठी अध्यक्ष, अखिल भारतीय आयुर्वेद विशेषज्ञ सम्मेलन, उत्तर प्रदेश ने अपने सम्बोधन में कहा कि समग्र स्वास्थ्य की कल्पना आयुर्वेद से ही सम्भव है। आयुर्वेद की पुरातन महत्ता को ध्यान में रखकर मोदी सरकार अस्तित्व में आने के बाद सर्वप्रथम केन्द्र सरकार ने आयुष मंत्रालय का गठन किया और वर्ष 2016 में धन्वन्तरि जयन्ती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की। आयुर्वेद दिवस की घोषणा का उद्देश्य आयुर्वेद के अस्तित्व को पुनः कायम करने हेतु विशिष्ट उपचार तरीकों की शक्तियों पर ध्यान केन्द्रित करना है। मा0 प्रधानमंत्री श्री मोदी ने छठवें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस में कहा था कि समाज को आयुर्वेद के प्रति जागरूक करने की आवश्यकता है जैसे सदियों पूर्व आयुर्वेद की स्वीकार्यता जन-2 में थी उसी तरह पुर्नस्थापन के लिए फिर प्राण फूकने की आवश्यकता है। आधुनिक तरीके से शोध कर आयुर्वेदिक औषधियों के असर को साबित करना होगा। इसके साथ ही आयुर्वेद विशषज्ञों को अधिक से अधिक शोध कर उन्हें अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रकाशित होने वाले प्रकाशनों में कम से कम 20 प्रतिशत की जगह हासिल करनी होगी। मा0 प्रधानमंत्री ने यह भी भरोसा दिलाया था कि उनकी सरकार आयुर्वेद सहित सभी परम्परागत चिकित्सा पद्धतियों के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। आयुर्वेद जगत के लिए यह एक संतोष की बात है कि मा0 प्रधानमंत्री ने आयुष मंत्रालय के गठन तथा राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस की घोषणा करने के उपरान्त अनेक राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थानों की स्थापना हुई और वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान लाकडाउन में देश को दिये गये अपने सम्बोधनों में कोरोना से बचाव हेतु आयुर्वेद को अपनाने हेतु बल देकर देश ही नहीं पूरे विश्व को आयुर्वेद के प्रति विश्वास मजबूत करने का बिगुल फूंका और परिणाम सबके सामने है कि आयुर्वेद की जड़ी-बूटियों का सेवन कर तथा आयुर्वेद को अपनी दिनचर्या में देशवासियों ने शामिल कर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना पर विजय पाई है। अन्त में डा0 त्रिपाठी ने कहा कि वैद्य समाज को चाहिए कि वे आयुर्वेद को समर्पित सेवा भावना से अपनाएं न कि पेशेवर की तरह, तभी समाज में हमारी श्रेष्ठता स्थापित होगी।

पूर्व आयुर्वेद निदेशक डा0 के0के ठकराल ने अपने सम्बोधन में कहा कि श्री धन्वन्तरि शल्य तंत्र के महान ज्ञाता थे, श्री धन्वन्तरि ने आचार्य सुश्रुत की रूचि को देखते हुए उन्हें शल्य चिकित्सा में पारंगत किया था जो पूरे विश्व में शल्य-चिकित्सा के विश्व विख्यात प्रथम आचार्य माने जाते हैं।

कार्यक्रम की संयोजिका डा0 दीपांजली त्रिपाठी ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया और बताया कि कल दिनांक 14 नवम्बर 2020 को ‘विश्व मधुमेह दिवस’ के अवसर पर सरोज आरोग्यम केन्द्र, राजाजीपुरम में प्रातः 9 बजे से 12 बजे तक निःशुल्क निदान शिविर का आयोजन कोरोना प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा। उन्होंने बताया कि मधुमेह का निदान समय रहते हो जाए तो उस पर आयुर्वेद जीवन पद्धति द्वारा विजय पाई जा सकती है। चिन्ता की बात यह है कि 55 से 60 प्रतिशत लोगों को यह पता ही नहीं रहता कि उन्हें डायबिटीज है। इसलिए मधुमेह के प्रति समाज में जागरूकता के कार्यक्रम अधिक से अधिक हों।