मुसलमानों से मिलकर मुख्यमंत्री मुद्दे को फ़ौरन सुलझाएं: मौलाना वली रहमानी

नई दिल्ली: हैदराबाद की तीन मस्जिदें तेलंगाना सरकार द्वारा शहीद (demolition) किये जाने के बाद मुसलमानों के ज़ोरदार विरोध प्रदर्शनों के मद्देनजर एक प्रशासनिक अधिकारी ने मस्जिद के पुनर्निर्माण का वादा किया जिसे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने अपर्याप्त बताया। बोर्ड का मानना है कि मुख्यमंत्री के आदेश के बिना यह मस्जिदें शहीद नहीं की जा सकती इसलिए उन्हें चाहिए कि इस मामले में स्पष्टीकरण दें|

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना मुहम्मद वली रहमानी (maulana wali rehmani) ने इस बारे में एक प्रेस बयान में कहा कि मुख्यमंत्री इस तथ्य से अवगत होंगे कि मस्जिदों को बेचा या स्थानांतरित नहीं किया जा सकता है। ये मस्जिदें सरकारी अधिकारियों की तरह नहीं हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री कहीं भी ट्रांसफर कर देते हैं ।

मौलाना रहमानी ने कहा कि मस्जिद को कानूनी और शरई दर्जा प्राप्त है और इसके लिए केंद्रीय वक्फ अधिनियम है और शरई तौर पर जो जगह मस्जिद के लिए इस्तेमाल होती है वह हमेशा मस्जिद ही रहती है| उन्होंने कहा कि जो तीन मस्जिदें शहीद हुई हैं, उन्हें उसी स्थान पर बनाया जाना चाहिए और उन्हें मस्जिद के उपयोग में ही रखा जाय ।

मौलाना रहमानी साहब ने आश्चर्य व्यक्त किया कि मुख्यमंत्री मस्जिद के संबंध में हैदराबाद के लोगों के प्रतिनिधिमंडल से मिलने का समय नहीं दे रहे हैं, जो एक लोकतांत्रिक देश में एक बहुत ही गलत और अलोकतांत्रिक कदम है। यह सुनिश्चित करना उनकी जिम्मेदारी है कि वह मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की हैदराबाद यूनिट और शहर के लोगों से मिलें और इस मुद्दे को सही दिशा में हल करें। यह मुद्दा केवल हैदराबाद का ही नहीं, बल्कि पूरे देश के मुसलमानों का है और धार्मिक संस्कारों के संरक्षण का है जिसकी गारंटी स्पष्ट रूप भारत के संविधान ने दे रखी है|