स्पोर्ट्सटेगर के शो “बिल्डिंग ब्रिज में” टॉप शटलर ने शेयर किये अपने जीवन के उतार चढाव

जयपुर: सुभंकर डे जो कि पश्चिम बंगाल के बैडमिंटन खिलाड़ी और विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं तथा मौजूदा विश्व रैकिंग में नंबर 46 (15 दिसंबर, 2020) पर मौजूद है ने हाल ही में अपने करियर और कोलकाता से मुंबई तक के अपने संघर्ष भरे सफर के बारे में बात की और साथ ही 2018 में दो बार के ओलंपिक स्वर्ण-पदक विजेता लिन डैन को सारलोरॉक्स ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप में हराने पर भी चर्चा की।

सुभंकर जो प्रीमियर बैडमिंटन लीग में अवध वारियर्स के लिए भी खेलते हैं, को अन्य खिलाड़ियों की तरह ही देशभर में लगे लाॅकडाउन के कारण लंबे समय तक खेल से दूर रहना पड़ा और यह अंततः उनके लिए ऊबाउ हो गया। उन्होंने कहा कि ‘‘शुरू के 2-3 महीने ठीक थे और मुझ में उत्साह था लेकिन इसके बाद बोरियत होने लगी, सौभाग्य से मुंबई में मेरा अपना सेंटर है और मेरे पास कुछ छात्र भी हैं। उन्होंने ऑनलाइन सत्र शुरू किया और फिर हमने फिजिकल सेशन भी शुरू कर दिया और इस प्रकार मैंने अपना समय गुजारा।‘‘

सुभंकर के पास कोलकाता में एक अकादमी भी है, जिसे उन्होंने स्वयं के पैसों से शुरू किया था क्योंकि वह बैडमिंटन खेल को कुछ वापस देना चाहते थे, विशेष रूप से कोलकाता में क्योंकि उनका मानना है कि वहां इस खेल की प्रतिभाओं को निखारने के लिए संसाधनों की कमी है। उसके बाद, उन्होंने अपनी मुंबई अकादमी भी खोली।

स्पोर्ट्स टाइगर के शो ‘बिल्डिंग ब्रिज’ पर हाल ही में हुई बातचीत में, सुभंकर ने एक ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता को हराने के बारे में अपनी भावनाओं के बारे में पूछे जाने पर, अपनी खुशी व्यक्त की और बताया कि यह उनके लिए एक सपना सच होने जैसा था। उन्होंने कहा, ‘जब मैं छोटा था तब मेरी बहन ने मेरे लिए लिन डैन का एक बड़ा पोस्टर बनाया और मैं उसे अपने बगल में रखकर सोता था और सोचता था कि एक दिन मैं उनके खिलाफ खेलूंगा। मैंने उस समय उन्हें हराने के बारे में कभी नहीं सोचा था क्योंकि मैं बहुत छोटा था, यह हमेशा बस मेरे लिए एक सपना था। मैं लिन डैन को देखना चाहता था, उनकी तरह खेलना चाहता था और जब मैं कोलकाता में था तब उनके खेल की नकल किया करता था। ”

लिन डैन के खिलाफ उनकी जीत के बारे में पूछे जाने पर सुभंकर ने कहा, ‘‘मैं हर जीत के बाद बहुत जश्न मनाता हूं लेकिन लिन डैन को हराने के बाद, मैंने बिल्कुल भी जश्न नहीं मनाया। यह मेरे लिए काफी आश्चर्यजनक था और शायद भारत में हर व्यक्ति के लिए भी क्योंकि आपने लिन डैन को हराया था, इसलिए कुछ भावनाएं जरूर होनी चाहिए थी, लेकिन मैं बस उनके पास गया और उनसे हाथ मिला कर चला गया, यही मेरा उनके लिए सम्मान था। ”

27 वर्षीय शटलर ने पहली बार राष्ट्रीय प्रसिद्धि तब हासिल की, जब उन्होंने 2017 में नागपुर में आयोजित सीनियर बैडमिंटन नेशनल्स के क्वार्टर फाइनल में बी साई प्रणीत को हराया और 2018 में लिन डैन के खिलाफ जीतकर वे सुर्खियों में छा गए।

उन्होंने शो पर अपने शुरुआती दिनों के बारे में भी बात की और बताया कि कैसे उनके बड़े भाई और बहन ने उन्हें इस खेल को अपनाने के लिए प्रेरित किया। वह सिर्फ 500 रुपये के साथ मुंबई आए थे और यह उनके करियर का निर्णायक मोड़ साबित हुआ।

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि जब मैं मुंबई आया था, तो यह मेरे करियर का सबसे महत्वपूर्ण मोड़ था। मैंने वहां जाने के बाद राष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन करना शुरू किया। शुरू में इसमें कोई स्पाॅन्सर नहीं थे, लेकिन मैं भारत में नंबर 6 खिलाड़ी बन गया और एशियाई चैम्पियनशिप अंडर -19 का हिस्सा भी बना, उस समय मुझे हिंदुस्तान पेट्रोलियम से 12 हजार रुपये की स्काॅलरशिप मिली। यह मेरे लिए पहली स्काॅलरशिप थी और यह उस समय मेरे लिए बहुत बड़ी राशि थी। ”

बेहतरीन खिलाड़ी का जीवन संघर्षों एवं कई उतार-चढ़ावों से भरा रहा, जिस खिलाड़ी को कभी हैदराबाद अकादमी ने अस्वीकार कर दिया था और अब वह खुद को एक यूरोपीय क्लब के लिए खेलने का अवसर पाने के लिए खुद को बेहद भाग्यशाली मानता है। यूरोप जाने के पहले टॉम जॉन के नेतृत्व में बैंगलोर में प्रशिक्षण ले रहे सुभंकर वहां बेहद खुश थे, लेकिन ट्रेनिंग की अधिक फीस और अधिक अंतर्राष्ट्रीय टूर्नामेंट खेलने की उनकी इच्छा के कारण उन्होंने ये कदम उठाया । यूरोप में हर साल लगभग 20 प्रमुख टूर्नामेंट खेले जाते हैं जो एक अन्य कारण था जिसने उनके कदम को प्रभावित किया। उन्होंने अपनी यूरोपीय यात्रा के बारे में बात की और बताया, “मैंने पूरे यूरोप में लगभग 30 क्लबों को मेल किया और उनमें से मुझे डेनमार्क से जवाब मिला और फिर मैंने सोचा, ठीक है, यहां पैसा काफी कम था, लेकिन मैंने सोचा कि यह मेरे लिए एक अवसर है, और मैं वहां जाऊंगा तो मुझे कुछ न कुछ नया सीखने को मिलेगा। इस तरह मैं डेनमार्क पहुंचा ”

अपनी भविष्य की योजनाओं के बारे में सुभंकर ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह इसी तरह आगे बढ़ना चाहते हैं और अगले साल टाॅप- 20 में अपनी जगह बनाना चाहते हैं।