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चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर फैसला सुरक्षित, सरकार के जवाब से संविधान पीठ संतुष्ट नहीं

दिल्ली:
मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट बेहद सख्त रुख अपना रहा है. गुरुवार को फिर हुई मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने केंद्र सरकार से कई तीखे सवाल जवाब किए. इस दौरान सरकार के जवाबों से सुप्रीम कोर्ट असंतुष्ट दिखा.

चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर सरकार से कहा कि आपने सब एक ही दिन में कैसे कर दिया. आपने उसी दिन प्रक्रिया, उसी दिन निकासी, उसी दिन आवेदन, उसी दिन नियुक्ति. 24 घंटे भी फाइल नहीं चली है. बिजली की तेजी से नियुक्ति हुई?

सभी पक्षकारों को लिखित दलीलें देने के लिए पांच दिनों की मोहलत संविधान पीठ ने दी है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि क्या मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से नियुक्ति के लिए एक स्वतंत्र पैनल का गठन किया जाए?

आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्तियों पर सवाल उठाए. पीठ ने पूछा, “बिजली की तेजी से चुनाव आयुक्त की नियुक्ति क्यों? चौबीस घंटे के भीतर ही नियुक्ति की सारी प्रक्रिया कैसे पूरी कर ली गई? किस आधार पर कानून मंत्री ने चार नाम को शॉर्टलिस्ट किया?

इन सवालों पर केंद्र सरकार ने कहा, तय नियमों के तहत नियुक्ति की गई. हालांकि, नियुक्ति की प्रक्रिया पर सरकार के जवाब से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुआ. केंद्र सरकार ने पीठ को चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति की फाइल दी. केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल (AG) आर वेकेंटरमणी ने फाइलें जजों को सौंपी. अटॉर्नी जनरल ने कहा, “मैं इस अदालत को याद दिलाना चाहता हूं कि हम इस पर मिनी ट्रायल नहीं कर रहे हैं.” इस पर जस्टिस जोसेफ ने कहा, “नहीं..नहीं, हम समझते हैं”.

इसके बाद अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने पूरी प्रक्रिया की विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने कहा कि विधि और न्याय मंत्रालय ही संभावित उम्मीदवारों की सूची बनाता है. फिर उनमें से सबसे उपयुक्त का चुनाव होता है. इसमें प्रधानमंत्री की भी भूमिका होती है.

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, “चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में इतनी जल्दबाजी क्यों? इतनी सुपरफास्ट नियुक्ति क्यों?” जस्टिस जोसेफ ने कहा, “18 तारीख को हम मामले की सुनवाई करते हैं. उसी दिन आप फाइल पेशकर आगे बढ़ा देते हैं, उसी दिन पीएम उनके नाम की सिफारिश करते हैं. यह जल्दबाजी क्यों?”

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