तौक़ीर सिद्दीक़ी

दानिश आज़ाद अंसारी वह नाम है जिसके बारे में आज से पहले बहुत कम लोग जानते होंगे, कम से कम आम जनता तो बिलकुल ही नहीं जानती थी, लेकिन योगी-2 सरकार में एक राज्य मंत्री के रूप में जगह पाकर उनके बारे में जानने को लोग ज़्यादा उत्सुक हो गए हैं. दानिश अंसारी जहाँ योगी -2 कैबिनेट का इकलौता मुस्लिम चेहरा हैं वहीँ सबसे युवा भी हैं, उनकी उम्र अभी सिर्फ 32 साल की है. योगी-1 में जहाँ मोहसिन रज़ा शिया समुदाय का प्रतिनिधित्व कर रहे थे वहीँ इस बार दानिश अंसारी को मंत्री बनाकर सुन्नी समुदाय को साधने की कोशिश की गयी है. दानिश का सम्बन्ध भाजपा से काफी पुराना है, ABVP से उनकी राजनीतिक शुरुआत हुई थी. दानिश अंसारी को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का करीबी भी बताया जाता है.

मंत्री बनने पर दानिश को कोई भी हैरानी नहीं हुई क्योंकि उनका मानना है कि यह एक समर्पित कार्यकर्ता के प्रति पार्टी आला कमान के भरोसे का प्रतीक है. राज्य मंत्री के तौर पर शपथ लेने वाले दानिश अंसारी कहते हैं कि मेरे जैसे एक आम कार्यकर्ता को पार्टी नेतृत्व ने इतनी बड़ी जिम्मेदारी दी है. इसके लिए मैं उसका शुक्रगुज़ार हूं और यक़ीन दिलाता हूं कि पूरी ईमानदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन करुंगा.’’

दानिश कहते हैं कि सपा और बसपा ने मुसलमानों के मन में भाजपा के प्रति नफरत और भ्रम फैलाया, लेकिन अब यह भ्रम जाल टूट चुका है. वह कहते हैं कि मुसलमानों का BJP में भरोसा बढ़ा है. भाजपा सरकारों की जनकल्याणकारी योजनाओं का फायदा मुस्लिम समुदाय को भी काफी मिल रहा है. उनका मानना है कि भाजपा सरकार किसी से धर्म और जाति पूछकर योजनाओं का फायदा नहीं देती. उनके मुताबिक BJP मुसलमानों की बुनियादी सुविधाओं और जरूरतों के लिए काम करती है.

दानिश अंसारी बलिया के नजदीक बसंतपुर के रहने वाले हैं और शुरूआती पढ़ाई उन्होंने बलिया से ही की है जबकि लखनऊ यूनिवर्सिटी से उन्होंने बीकॉम किया. दानिश को 2017 में उर्दू भाषा की समिति का सदस्य बनाया गया. 2021 में उन्हें संगठन में अल्पसंख्यक मोर्चे के महामंत्री के रूप में जिम्मेदारी सौंपी गई थी, और अब उनपर मंत्री पद का भार डाला गया है. इसे कहते हैं तरक़्क़ी की सीढ़ी धीरे धीरे चढ़ना।

कहा जा रहा है कि योगी-2 कैबिनेट का स्वरुप कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि जिसका फायदा मोदी-3 की संभावनाओं को मज़बूत करने के लिए उठाया जा सके. दानिश अंसारी को योगी-2 में जगह मिलना भी उसी रणनीति का एक हिस्सा हो सकता है, दानिश के पिता आज भी बुनकर व्यवसाय से जुड़े हैं, बुनकर समाज का पूरे यूपी में अच्छा खासा वोट बैंक है विशेषकर पीएम मोदी के लोकसभा क्षेत्र बनारस में. दानिश को जगह देकर भाजपा ने एक पंत दो काज वाला काम किया है, सुन्नी वर्ग की नुमाइंदगी जिसकी काफी दिनों से मांग हो रही थी और बुनकर समाज का भरोसा।

हालाँकि अभी किसी मंत्री को विभाग का आबंटन नहीं हुआ है लेकिन परंपरा के अनुसार दानिश अंसारी को अल्पसंख्यक विभाग का मंत्री बनाया जा सकता है, या हज मंत्रालय में भी किसी कैबिनेट मंत्री के साथ एडजस्ट किया जा सकता है जैसा कि योगी -1 के इकलौते मुस्लिम मंत्री मोहसिन रज़ा के साथ हुआ था. मोहसिन रज़ा की पिछले पांच सालों में पहचान बस इतनी रही कि वह भाजपा सरकार में मुस्लिम चेहरा हैं. अब देखते हैं कि दानिश अंसारी को कौन से मंत्रालय में फिट किया जाता है और दानिश अपनी कुछ अलग पहचान पाएंगे या फिर सिर्फ मुस्लिम चेहरा ही बनकर रह जायेंगे हालाँकि मुख्यमंत्री के करीबी होने का उन्हें फायदा मिल सकता, दानिश को उसका कितना फायदा मिलेगा, यह तो समय ही बताएगा।