कोरोना महामारी के दौर में जहां तक संभव हो, कंपनियां वर्क फ्रॉम होम करा रही हैं. अब इसके खतरे को लेकर एक खुलासा हुआ है कि देश के 73 फीसदी ऑर्गेनाइजेशनों पर साइबर हमले बढ़ गए. इनका कहना है कि Covid-19 की शुरुआत के बाद से उन पर साइबर हमले 25 फीसदी अधिक बढ़ गए हैं. यह खुलासा सिस्को की एक रिपोर्ट से हुआ है. सिस्को के ‘Future of Secure Remote Work Report’ के मुताबिक देश के अधिकतम संस्थान वर्क फ्रॉम होम के लिए तैयार नहीं थे और उन्हें एकाएक इसके लिए तैयारी करनी पड़ी. सिस्को की रिपोर्ट के मुताबिक 65 फीसदी संस्थानों ने साइबर सिक्योरिटी के लिए तैयारी किया.

रिपोर्ट के मुताबिक सबसे बड़ी चुनौती लॉग इन को लेकर हुई ताकि सुरक्षित एक्सेस किया जा सके. वर्क फ्रॉम होम कल्चर में करीब 68 फीसदी ऑर्गेनाइजेशन के सामने सिक्योर एक्सेस की समस्या सामने आई. इसके अलावा 66 फीसदी भारतीय कंपनियों के सामने डेटा प्राइवेसी और 62 फीसदी के सामने मालवेयर प्रोटेक्शन की चुनौती सामने आई. एकाएक वर्क फ्रॉम होम के कल्चर ने हैकर्स के लिए लोगों के सिस्टम में वायरस छोड़ने का रास्ता आसान कर दिया क्योंकि सभी अलग-अलग नेटवर्क पर रहते हैं. ऑफिस से दूर रहकर काम करने पर 66 फीसदी ऑफिस के लैपटॉप-डेस्कटॉप और 58 फीसदी पर्सनल डिवाइसेज पर यह चुनौती सामने आई है जबकि 42 फीसदी क्लाउड एप्लीकेशन में यह समस्या सामने आई है.

कोरोना महामारी के संक्रमण का खतरा अभी खत्म नहीं हुआ है और यह कब तक जारी रहेगा, कोई नहीं जानता. सिस्को इंडिया और SAARC के सिक्योरिटी बिजनस के डायरेक्टर विषाक रमन ने कहा कि इसे देखते हुए कंपनियां अब साइबर सिक्योरिटी में निवेश बढ़ा रही हैं. 31 फीसदी कंपनियां अब इस पर ध्यान दे रही हैं. 84 फीसदी कंपनियों का कहना है कि साइबर सिक्योरिटी पर अब उनका मुख्य फोकस है.

कोरोना महामारी के बाद काम करने के तरीके में बदलाव आया है और अब भविष्य में हाइब्रिड कल्चर रहने की उम्मीद है. देश की 53 फीसदी से अधिक कंपनियों का कहना है कि वे कोरोना महामारी बीत जाने के बाद भी अपने आधे से अधिक कर्मियों के लिए वर्क फ्रॉम होम के कल्चर को बनाए रखेगी. महामारी की शुरुआत से पहले महज 28 फीसदी कंपनियां ही अपने आधे से अधिक कर्मियों को घर से काम करने का विकल्प देती थीं.

]97 फीसदी कंपनियों ने वर्क फ्रॉम होम को लेकर अपनी साइबर सिक्योरिटी पॉलिसीज में बदलाव किया है लेकिन अभी इसमें अभी भी बहुत कुछ करना बाकी है. 60 फीसदी कंपनियों का कहना है कि बदले हुए साइबर सिक्योरिटी प्रोटोकॉल को लागू करना बहुत बड़ी चुनौती थी. इसके अलावा 55 फीसदी कंपनियों का कहना है कि उनके कर्मियों के बीच इसे लेकर न तो जागरुकता है और न जानकारी. रमन के मुताबिक कंपनियों का मुख्य लक्ष्य अपने कर्मियों को जागरुक और उन्हें इसके बारे में जानकारी देना चाहिए क्योंकि कंपनियों के भविष्य के लिए वे सबसे पहली सुरक्षा कड़ी हैं.

यह स्टडी दुनिया भर के 21 देशों के 3196 आईटी डिसीजन मेकर्स पर हुई है. इसमें से 1900 रिस्पांडेट एशिया प्रशांत के 13 देशों से थे जिसमें भारत भी शामिल है. रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है कि वर्क फ्रॉम होम के दौरान कंपनियों को कितनी साइबर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है. सर्वे किए जाने वाले देशों में भारत, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, अमेरिका, जर्मनी, हांगकांग, इंडोनेशिया, जापान, सिंगापुर, थाइलैंड और वियतनाम आदि हैं.