बिजनेस ब्यूरो
IMF का मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी को बड़े पैमाने पर एक वैध करेंसी के तौर पर स्वीकार किया गया तो इसका अर्थव्यवस्था की व्यापक स्थिरता पर बुरा असर पड़ सकता है.

बता दें कि मध्य अमेरिका का सबसे छोटा देश अल सल्वाडोर, जून के महीने में बिटक्वाइन को लीगल टेंडर घोषित कर चुका है. आईएमएफ ने अपने एक ब्लॉग में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि क्रिप्टोएसेट्स को नेशनल करेंसी बनाना ऐसा शॉर्टकट है, जिसकी सलाह नहीं दी जा सकती क्योंकि इससे कंज्यूमर्स के हित खतरे में पड़ सकते हैं.

पिछले महीने ब्रिटेन के पर्सनल फाइनेंस प्लेटफॉर्म ‘फाइंडर’ ने दुनिया भर के 42 क्रिप्टो एक्सपर्ट्स पर एक सर्वे किया जिसके मुताबिक वर्ष 2050 तक ग्लोबल फाइनेंस को बिटक्वाइन क्रॉस कर जाएगा. पिछले कुछ महीनों से इसकी स्वीकार्यता बढ़ी है और जेपीमॉर्गन, गोल्डमैन सैक्स, पेपाल, वीजा, टेस्ला, ऐपल, अमेजन और माइक्रोस्ट्रैटजी जैसी कंपनियों ने इसे स्वीकार करना शुरू किया है.

हालांकि पहले क्रिप्टो करेंसी का खुला समर्थन करने वाले टेस्ला के एलन मस्क के रुख में कुछ अरसा पहले बदलाव देखने को मिला, जब उन्होंने कहा कि निवेशकों को अपनी जीवन भर की जमापूंजी इसमें नहीं लगानी चाहिए.

क्रिप्टोकरेंसीज को लेकर चिंताएं

  • वाशिंगटन स्थित आईएमएफ दुनिया भर में मॉनिटरी कोऑपरेशन को बढ़ावा देने और वित्तीय स्थिरता सुरक्षित करने के लिए काम करता है. आईएमएफ का कहना है कि क्रिप्टोएसेट्स के लेन-देन के लिए इंटरनेट एक्सेस और तकनीक बहुत जरूरी है जो कई देशों में सहज नहीं उपलब्ध है. ऐसे में फेयरनेस और फाइनेंस इंक्लूजन को लेकर कई समस्याएं आएंगी।
  • आईएमएफ का कहना है कि ऑफिशियल मॉनिटरी यूनिट की वैल्यू पर्याप्त तौर पर स्थिर होनी चाहिए ताकि इसका मध्यम से लेकर लंबे समय तक की मौद्रिक देनदारियों के लिए इस्तेमाल किया जा सके.
  • आईएमएफ का मानना है कि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों को क्रिप्टोएसेट की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव से समस्याएं होंगी.
  • आईएमएफ के मुताबिक बड़े स्तर पर क्रिप्टोएसेट का इस्तेमाल शुरू होने के बाद अगर इसमें बड़ी गिरावट आई, कोई फर्जीवाड़ा हुआ या साइबर हमला हो गया तो बहुत से लोगों की पूंजी एक झटके में खत्म होने का खतरा रहेगा.