मो0 आरिफ नगरामी

कोरोना की पहली और दूसरी लहर में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन चार लाख हिन्दुस्तानियों ने अपनी जानें गंवाई हैं जो किसी महामारी में मरने वालों की संख्या से बहुत ज्यादा हैं। यह संख्या उन मरने वालों की हैं जिनका नाम सरकारी रजिस्टर में दर्ज हुआ है बहुत से लोगों के घर वालों ने शवों को बिना सरकार को इत्तेला दिये हुये उनका अंतिम संस्कार कर दिया । कोरोना की पहली और दूसरी लहर दोनों में मौत ने हर घर में दस्तक दी है तकरीबन हर घर का कोई फर्द अपनों से हमेशा के लिये जुदा हुआ है। हम ने खुद देखा है कि हमारे एक रिश्तेदार की पत्नी की सुबह मौत हुयी तो शाम को वह साहब ने खुद दुनिया से सिधार गए । हमारे जानने वालों में एक भाई की सुबह तो दूसरे भाई की शाम मेें मौत हुयी, एक अजीब और खौफनाक मन्जर था। अल्लाह से दुआ है कि इस तरह का मन्जर अब न दिखाये।

कोरोना में मरने वालों के वारिसों को मुआविजा देने का मुताल्बा काफी दिनों से किया जा रहा था । खुद कांग्रेस ने मरने वालों के घर वालों को चार लाख बतौर मुआविजा देने का मुताल्बा किया था मगर केंद्र सरकार ने इस तरह की तमाम मांगों को मान लेने से साफ इन्कार कर दिया था। उसके बाद एकजनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गयी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश दिया है कि कोरोना से मरने वाले के परिजनों को मुआविजा दिया जाये। कितना मुआविजा दिया जाये यह एनडीएमए तय करे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह ब्लैक फंगस, व्हाईट फंगस और येलो फंगस से जो लोग हलाक हुये हैं या हलाक हो रहे है। उन को भी मुआविजा दिया जाये। सुप्रीम कोर्ट ने एनडीएमए से दफा 12 का हवाला देते हुये कहा कि यह राष्ट्रीय आपदा का मामला है जिस पर अमल करने की ज़िम्मेदारी केंद्र सरकार पर है।

सुप्रीम कोर्ट के इस हुक्म से केंद्र सरकार के पसीने छूट गये है। क्योंकि अब तक तकरीबन 4 लाख से ज्यादा लोगों की कोरोना महामारी से मौत हो चुकीं है। अगर अब मरने वाले के परिजनों को चार चार लाख दिये जाते हैं तो यह बहुत बडी रकम होगी जब कि हुकूमत का खजाना खाली है। वाज़ेह रह कि जब पिछले दिनों बिहार सरकार की जानिब से कोरोना से मरने वालों के परिजनों को मआविजा देने का एलान किया गया था तो अचानक ही कोरोना से मौत के मामलात बढ़ गये थे। मगर अब बिहार सरकार ने यह साफ कर दिया है कि बिहार के अन्दर कोरोना से मरने वाले उन लोगों को चार लाख की रकम दी जायेगी जो बिहार के निवासी भी हैं।

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से कोरोना महामारी से मरने वालों के परिजनों को काफी राहत मिलेगी । बहुत से ऐसे लोग हैं जिन के मां बाप दोनों खत्म हो गये और अब वह बे सहारा हो चुके है। मिलने वाले पैसों से वह अपनी शिक्षा पूरी कर सकते हैं या कारोबार कर सकते है। इसी तरह से मुआविजा की रकम से बेसहारा घरों को एक संजीवनी मिल सकती है और वह अपना जीवन दोबारा शुरू कर सकते है। अगर सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों पर ईमानदारी से कार्रवाई हो गयी तो यह बहुत बडा काम होगा। मरने वाले के घर वाले इन पैसों से अपने आंसू पोंछ कर जीवन को आगे बढा सकते है।