लखनऊ:
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रांतीय अध्यक्ष पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने आज प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए देश व प्रदेश के किसानों की समस्याओं के प्रमुख मुद्दे खाद की अनुपलब्धता, क्रय केन्द्रों की कमी, हाईब्रिड धान की खरीद में हीला हवाली, क्रय केन्द्रों पर घटतौली जैसे प्रमख मुद्दों को विस्तार पूर्वक रखा।

दुबे ने कहा कि जैसा कि आपने देखा है कि किसान सुबह 4 बजे से ही डीएपी, यूरिया व अन्य रासायनिक उर्वरकों के लिए हाड़ कंपाती ठंड में लाइन लगाये सहकारी केन्द्रों पर खडे़ रहते हैं। जबकि रासायनिक उर्वरक मंत्री का कहना है कि खाद व उर्वरक की कोई कमी नहीं है, यह उसी तरह प्रतीत होता है जैसे कोविड काल में मंत्रीगण बयान दे रहे थे कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की कोई कमी नहीं है। प्रदेश में धान व गन्ना के क्रय केन्द्रों का पर्याप्त संख्या में न होने से किसानों को कोसों दूर मण्डियों में व दूर दराज के क्षेत्रों में जाकर अपनी फसलों को विक्रय करना पड़ रहा है। एक तो वैसे ही लागत मूल्य किसान नहीं निकाल पा रहा है ऊपर से कई किलोमीटर दूर क्रय केन्द्र होने से ट्रांस्पोर्टेशन का अतिरिक्त खर्च उन पर पड़ रहा है।

उन्होंने आगे कहा कि अधिकांश क्रय केन्द्रों पर हाईब्रिड धानों की खरीद नहीं हो रही है। कारण बताया जा रहा है कि धान के बीज खरीद का बिल लेकर आयें ।इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश सरकार ने 18 नवम्बर 2022 को एक फरमान जारी किया था ।यदि बीज के बिल इतने ही जरूरी थे तो जो नोटिफिकेशन 18 नवम्बर को आया वह जून में भी लाया जा सकता था। इससे किसान धान के बीज का बिल भी दुकानदारों से लेकर सुरक्षित रखता। परन्तु धान के बीज का बिल क्रय केन्द्रों पर अब मांगा जा रहा है जो कि किसानों के लिए मुश्किल है। यह सिर्फ और सिर्फ अन्नदाता को परेशान करने का षड़यंत्र है। क्रय केन्द्रों पर उपलब्ध तौल मशीनों से घटतौली की जा रही है। किसानों की ओर से बार-बार शिकायत करने के बावजूद सक्षम अधिकारी कोई ध्यान नहीं दे रहे हैं।

दुबे ने प्रधानमंत्री की उज्जवला योजना की बात करते हुए कहा कि माताओं बहनों को चूल्हे के धुंए का डर दिखाकर गैस सिलेण्डर को प्रोत्साहित करने का कार्य किया। मगर 375 रूपये वाले गैस सिलेण्डर के दाम 1100 से ऊपर कर दिये गये। आर्थिक संकट में डूबे हुए किसानों की गरीब गृहणियों को उज्जवला के नाम पर सपना दिखाकर ठगा गया और महंगी गैस होने की वजह से सिलेण्डर एक बार के बाद दोबारा कभी रिफिल नहीं हुए।

प्रेस वार्ता में किसान कांग्रेस मध्य जोन के अध्यक्ष जगदीश सिंह ने कहा कि इस हेतु सरकार को चाहिए कि वह अपनी संस्थाओं की मदद से किसानों का पंजीकरण खेत पर ही जाकर करवाये। उसी प्रकार से जैसे लेखपाल क्राप कटिंग की रिपोर्ट खेत पर जाकर करते है। आवारा पशुओं की वजह से हो रही किसानों को हानि पर सरकार द्वारा पशुशालाओं के निर्माण हेतु दी जाने वाली राशि इतनी कम है कि कोई भी किसान पशुशाला पर ध्यान नहीं दे रहा है ।क्योंकि प्रति पशु 30 रूपया बहुत ही कम है ।इसे प्रतिदिन 50 रूपया प्रति पशु किया जाय।