तौक़ीर सिद्दीक़ी

गुजरात में विधानसभा चुनाव हालाँकि साल के अंत में हैं (पहले भी हो सकते हैं) लेकिन पांच राज्यों में चारों खाने चित होने वाली कांग्रेस पार्टी के लिए यहाँ भी हालात अच्छे नहीं हैं, उनके कार्यवाहक अध्यक्ष (बिना काम के) हार्दिक पटेल पिछले एक महीने से पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. कभी वह सीधे सीधे पार्टी आला कमान को घेरे में ले लेते हैं तो कभी राज्य नेतृत्व को नाकारा घोषित कर देते हैं. उनकी चाल ढाल और हरकतों ने पार्टी को हलकान कर दिया है.

दरअसल जबसे उन्हें अदालत से चुनाव लड़ने की इजाज़त मिली है, उनके सुर बग़ावती हो गए हैं. वह अपने बयानों और क्रियाओं से अपने को महत्वपूर्ण साबित करने लगे. वह कांग्रेस आला कमान को लगातार संकेत देने लगे कि गुजरात में हार्दिक ही युवा ह्रदय सम्राट है. पाटीदार आंदोलन के बाद से भाजपा के खिलाफ हमेशा मुखर रहने वाले हार्दिक के सुर अचानक उसके प्रति नरम होने लगे, कुछ बातों को लेकर हार्दिक को कांग्रेस से भाजपा अच्छी लगने लगी.

उधर कांग्रेस पार्टी का रुझान गुजरात के एक और पाटीदार नेता नरेश पटेल की तरफ बढ़ा तो हार्दिक के तेवर भी और तीखे होने लगे. भले ही अब प्रशांत किशोर से कांग्रेस की डील टूट चुकी है लेकिन PK के गुजरात प्लान का मुख्य केंद्र तो नरेश पटेल ही थे. नरेश पटेल और कांग्रेस का गठबंधन होगा या नहीं, यह बात अभी साफ़ नहीं है, इसीलिए हार्दिक नरेश पटेल को लेकर भी कांग्रेस पार्टी पर हमलावर हैं, वह सीधे रूप से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर नरेश पटेल के बारे में फैसला न लेने का आरोप लगाते हैं. हार्दिक के व्यवहार से यही लगता है कि वह एक म्यान में एक तलवार की बात कर रहे हैं, कांग्रेस को चुनना होगा, हार्दिक या नरेश।

अभी पिछले दिनों ही उन्होंने अपने इंस्टाग्राम और व्हाट्सप्प के बायो में बदलाव कर भाजपा की झलक दिखाई थी और अब उन्होंने अपने ट्विटर अकॉउंट से भी कांग्रेस पार्टी को आउट कर दिया है, दिलचस्प बात यह है कि वह लगातार इस बात को दोहराते रहते हैं कि वह कांग्रेस के साथ हैं, आज जब उन्होंने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस को आउट किया तब भी राहुल गाँधी के बेरोज़गारी वाले ट्वीट को रीट्वीट किया है. हार्दिक की इन हरकतों से कांग्रेस काफी हलकान दिख रही है, प्रशांत किशोर का साथ छूट चूका है, नरेश पटेल भी कांग्रेस से पल्ला झाड़ते हुए दिख रहे हैं, आम आदमी पार्टी गुजरात में घुसपैठ के साथ कांग्रेस पार्टी की जड़ों को काटने में जुटी हुई है. अब हार्दिक ने अलग परेशान कर रखा है.

फिलहाल तो हार्दिक पटेल की इन सब कार्रवाइयों से गुजरात का सियासी माहौल गर्म है, उनके भाजपा में जाने की बातें भी तेज़ी से गश्त कर रही हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या हार्दिक भाजपा में जाने का जोखिम उठाएंगे। वह युवा हैं, समय उनके साथ है, भविष्य उनका किसके साथ होगा यह उनके लिए भी एक जटिल प्रश्न है, तो क्या वह AAP को अपना सकते हैं या फिर कांग्रेस पर दबाव की नीति अपनाकर, अपनी बातें मनवाकर कांग्रेस में ही बने रहेंगे। सवाल बहुत से हैं जिनके जवाब शायद जल्द ही मिलें लेकिन फ़िलहाल तो कांग्रेस पार्टी हार्दिक को लेकर हलकान ही है.