लखनऊ
उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने योगी सरकार पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि सीएम योगी ने लगातार मीडिया में दावा किया हैं कि यूपी में संगठित अपराध खत्म हो गया है। मुख्यमंत्री हर मीटिंग,प्रेसवार्ता में बोलते है,अपराधी या तो जेल में बंद है या फिर मारे गए हैं।लेकिन जमीनी सच्चाई यह है कि सोशल मीडिया और विभिन्न अख़बारों के पन्ने आए दिन राज्य में होने वाले अपराधों और उनकी जघन्यता की ख़बरों से पटे पड़े रहते हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि ला & आर्डर संभाल पाने में पूरी तरह नाकाम बीजेपी की योगी सरकार अपराधिक घटनाओं को धर्म जाति और नफरत के चश्मे से देखते हुए कार्रवाई कर रही है। “प्रयागराज शूट आउट” हुए आज 10 दिन हो रहे हैं। लेकिन आज भी योगी सरकार की पुलिस केवल मीडिया ट्रायल और बुलडोजर नीति अपनाकर मीडिया फुटेज के दम पर अपनी इमेज मैनेजमेंट का काम कर रही है। वारदात को अंजाम देने वाले असली अपराधी बेखौफ पुलिस की पकड़ से दूर है।

प्रदेश प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि चर्चित राजूपाल हत्याकांड के मुख्य गवाह वकील उमेश पाल और सुरक्षा में लगे पुलिस के सिपाहियों पर दिनदहाड़े ताबड़तोड़ फायरिंग, बमों से हुए हमले ने मुख्यमंत्री के सभी दावों की पूरी हवा निकाल दी है।उन्होनें आगे कहा कि आज यूपी सरकार के दावों के उलट राज्य में अपराध चरम पर है। प्रदेश का कोई भी जनपद बाकी नहीं है, जहां एक या दो बाहुबली बेखौफ होकर अपने वाहनों के काफिले में भारतीय जनता पार्टी का झंडा लगा कर अपनी हनक और दहशत का माहौल बनाए हुए हैं। पूर्वांचल बुंदेलखंड पश्चिमी उत्तर प्रदेश में तमाम बाहुबली चर्चित चेहरे हैं जो हर दिन किसी न किसी संघीय अपराध को अंजाम न दे रहे हो। ऐसे आपराधिक चरित्र के लोगों के साथ लगातार मंचों से मुख्यमंत्री और उनके मंत्रियों की तस्वीरें चर्चाएं आम होती रहती हैं।

कांग्रेस प्रवक्ता विकास श्रीवास्तव ने कहा कि योगी सरकार प्रेस कॉन्फ्रेंस , जनसभाओं में हमेशा दावा करती आई है कि उत्तर प्रदेश अपराध मुक्त है और आम जनमानस पूरी तरह सुरक्षित हैं,लेकिन जमीन सच्चाई में NCRB की रिपोर्ट कुछ और ही स्थिति बयां कर रही है।हत्या, व्यापारियों से लूट, महिला हिंसा बलात्कार, संगठित अपराध ,मकान जमीनों पर कब्जा, दलित अति पिछड़ों के साथ उत्पीड़न जैसी आपराधिक घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। कांग्रेस पार्टी का सीधा आरोप है आज अपराध होने के बाद एफआईआर तक दर्ज करने के लिए लोगों को महीनों सालों थानों के चक्कर लगाने पड़ रहे हैं।