लखनऊ

वसीम रिज़वी को फिर से शिया वक्फ बोर्ड का चेयरमैन बनाना चाहते हैं सांप्रदायिक संगठन: मौलाना कल्बे जवाद नकवी

लखनऊ: शिया वक्फ बोर्ड के रातोंरात चुनाव की सरकार की घोषणा और मुर्तद वसीम रिज़वी को दोबारा चेयरमैन बनाने की कोशिशें की निंदा करते हुए इमामे जुमा मौलाना कल्बे जावद नकवी ने इसे सरकारी अधिकारियों की साज़िश क़रार दिया। मौलाना ने अपने बयान में कहा कि युपी सरकार के कुछ अधिकारी, पुराने मुतवल्ली और कुछ मौलवी एक बार फिर से वसीम रिज़वी को शिया वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष बनाने के लिए पुरी कोशिश कर रहे हैं। जिस रात सरकार ने चुनाव की घोषणा की उसके अगले दिन अदालत में इस मामले की सुनवाई होना थी मगर सरकार के रातों रात चुनाव की घोषणा के बाद अदालत ने भी इस मामले में कोई सुनवाई नहीं की। सरकार ने आधी रात को चुनाव की घोषणा की ताकि अदालत इस मामले में कोई निर्णय न ले सके, यह निंदनीय और अफसोेसनाक है।

मौलाना ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि एक मुर्तद और धर्म से ख़ारिज व्यक्ति हमारी कौम के लिए बडी समस्या और मुसीबत बन गया है, जिसने वक्फ संपत्तियों को तबाह कर दिया है और अब कुरआन का अपमान कर रहा है। यदि अब वह फिर से वक्फ बोर्ड में आता है, तो उसकी जिम्मेदारी कौम के लागों पर भी होगी। 37 के आस पास मुतवल्लियों को वक्फ बोर्ड चुनावों में वोट देने के लिए अधिकृत किया जाएगा। यदि वह चेयरमैन बन जाता है, तो उन मुतवल्लियों के नाम प्रकाशित किए जाएंगे जो वसीम को वोट देंगे ताकि कौम के लोग उनका बहिष्कार करंे। मौलाना ने उन मुतवल्लियों पर दबाव बनाने और वसीम का साथ देने वालों का बहिष्कार करने के लिए कौम के लोगों, ओलमा हज़रात और ज़ाकरीन से अपील की। मौलाना ने कहा कि अगर यह मुतवल्ली धर्मत्यागी और मुर्तद वसीम का समर्थन करते हैं, तो यह समझना चाहिए कि उन्होंने उसके विचारों का समर्थन किया है और वह भी कुरआन के अपमान के उसी तरह दोषी क़रार पायेंगे जिस तरह वसीम दोषी है। इस लिये कौम के लोग,ओलमा हज़रात एंव ज़ाकरीन उन मुतवल्लियों का भी बहिष्कार करे जो वसीम का साथ दे रहे है या भविष्य में देंगे।

मौलाना ने कहा कि आज भी कुछ सरकारी अधिकारी, कुछ पुराने मुतवल्ली,सांप्रदायिक संगठन और कुछ मौलवी उसका साथ दे रहे हैं ताकि उसे फिर से चेयरमैन बनाया जा सके। अब उनके खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का समय आ गया है। मौलाना ने कहा कि शिया वक्फ बोर्ड का सदस्य केवल शिया ही हो सकता है,जबकि वसीम रिज़वी कुरआन का अपमान करके मुसलमान ही नहीं रहा, तो वह शिया वक्फ बोर्ड में कैसे आ सकता है? सरकार को मुसलमानों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और ऐसे धर्मद्रोही और मुर्तद व्यक्ति को मुस्लिम संस्थान और बोर्ड का सदस्य बनने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। अन्यथा हम आंदोलन के लिये मजबूर होंगे।

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