नयी दिल्ली: देश के स्टार्टअप में पिछले चार साल में चीनी निवेश में 12 गुना वृद्धि हुई और 2019 में यह बढ़कर 4.6 अरब डॉलर पहुंच गया। यह 2016 में 38.1 करोड़ डॉलर था।

आंकड़ों और उसके विýश्लेषण से जुड़ी कंपनी ग्लोबल डाटा के अनुसार वृद्धि के लिहाज से अच्छी संभावना वाले ज्यादातर स्टार्टअप (यूनिकार्न) को चीनी कंपनियों और वहां की पूर्ण रूप से निवेश इकाइयों का समर्थन है। यूनिकार्न उन स्टार्टअप को कहा जाता है जिनका मूल्यांकन एक अरब डॉलर या उससे ऊपर है। सौदों के आंकड़े के विश्लेषण के आधार पर ग्लोबल डेटा के ‘डिसरप्टर इंटेलिजेंस सेंटर के अनुसार पिछले चार साल में भारतीय स्टार्ट अप में चीनी निवेश 12 गुना बढ़ा है। यह 2016 में 38.1 करोड़ डॉलर था जो 2019 में बढ़कर 4.6 अरब डॉलर पहुंच गया।

देश में ज्यादातर ‘यूनिकार्न’ (24 में से 17) को चीन की कंपनियों तथा शुद्ध रूप से निवेश फर्मों का समर्थन प्राप्त है। इसमें अलीबाबा और टेनसेंट मुख्य रूप से शामिल हैं। अलीबाबा तथा उसकी अनुषंगी एंट फाइनेंशियल ने अन्य के साथ चार भारतीय यूनिकार्न (पेटीएम, स्नैपडील, बिग बास्केट और जोमैटो) में 2.6 अरब डॉलर निवेश किया है। वहीं टेनसेंट ने अन्य के साथ मिलकर पांच यूनिकार्न (ओला, स्विगी, हाइक, ड्रीम 11 और बायजू) में 2.4 अरब डॉलर का निवेश किया है। देश के स्टार्टअप में निवेश करने वाली चीन के अन्य प्रमुख निवेशकों में मेटुआन-डाइनपिंग, दिदी चुक्सिंग, फोसुन, शुनवेई कैपिटल, हिलहाउस कैपिटल ग्रुप और चीन-यूरेसिया एकोनॉमिक कोअपरेशन फंड शामिल हैं।