बीजिंग:
दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश चीन में पिछले 6 दशकों में ऐसा पहली बार हुआ है कि जनसँख्या में गिरावट दर्ज की गयी है. बीजिंग के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो (एनबीएस) ने जनसंख्या में पिछले वर्ष के अंत में 850,000 की कमी दर्ज की है. एनबीएस ने कहा कि जन्म की संख्या 9.56 मिलियन जबकि मौतों की संख्या 10.41 मिलियन देखी गई. इससे पहले चीन की आबादी में गिरावट 1960 के दशक की शुरुआत में हुई थी.

दुनिया में सबसे अधिक जनसंख्या वाले देश में जनसंख्या संकट गहरा रहा है. जिसके चलते ही चीन ने साल 2016 में अपनी “एक बच्चे की नीति” को समाप्त कर दिया था और जोड़ों को तीन बच्चे पैदा करने की अनुमति दी गई थी. चीन में जन्मदर तेजी से घट रही है. अधिकारियों ने चेतावनी दी थी कि 2025 के बाद चीन की जनसंख्या घटने लगेगी.

इस संकट से बचने के लिए परिवारों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है. इसमें स्थानीय सरकारों को प्रजजन को सुधारने वाले तरीके, युवा परिवारों के लिए सब्सिडी देना, टैक्स रिबेट देना और बेहतर स्वास्थ्य इंश्योरेंस, शिक्षा, घर और रोजगार का समर्थन देना शामिल है.

कई स्थानीय अधिकारियों ने पहले ही दंपतियों को बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करने के उयाय शुरू कर दिए हैं. पहला बच्चा पैदा करने वाले दम्पति को स्वचालित रूप से 3,000 युआन मिलते हैं. वहीं तीसरा बच्चा होने पर 10,000 युआन दिए जाते हैं. देश के पूर्व में, जिनान शहर में 1 जनवरी से दूसरे बच्चे वाले जोड़ों को 600 युआन का भुगतान किया जा रहा है.

ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ विक्टोरिया के एक शोधकर्ता शिउजियन पेंग ने एएफपी को बताया, “चीनी लोग दशकों पुरानी एक-बच्चे की नीति के कारण छोटे परिवार के आदी हो रहे हैं”. उन्होंने कहा, “चीनी सरकार को जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए प्रभावी नीतियां ढूंढनी होंगी, अन्यथा प्रजनन क्षमता और भी कम हो जाएगी. ये एक वास्तविक चिंता है.