आईसीआईसीआई बैंक लोन धोखाधड़ी मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बैंक की पूर्व सीईओ चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए उनकी रिहाई का आदेश दिया है. बॉम्बे हाईकोर्ट का कहना कि कानून के मुताबिक चंदा और दीपक कोचर की गिरफ़्तारी नहीं हुई थी. जस्टिस रेवती मोहिते डेरे औरजस्टिस पृथ्वी राज चव्हाण की बेंच ने इससे पहले याचिका पर आदेश को सुरक्षित रख लिया था. हाईकोर्ट ने दोनों लोगों की एक एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत मंजूर की है.

10 जनवरी तक थे न्यायिक हिरासत में

Loan Scam के मामले में CBI की स्पेशल कोर्ट ने चंदा कोचर, दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के संस्थापक वेणुगोपाल धूत को 10 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था. लोन घोटाले का यह मामला साल 2018 में तब खुला जब एक व्यक्ति ने बैंक के टॉप मैनेजमेंट से शिकायत कर आरोप लगाया कि बैंक ने जानबूझकर 2008 और 2016 के बीच कई ऋण खातों के नुकसान पर ध्यान नहीं दिया. इस शिकायत में चंदा कोचर का नाम शामिल था. इस शिकायत के बाद कई एजेंसियों ने जांच शुरू की और चंदा कोचर के परिवार से भी पूछताछ हुई. उस वक्त बैंक ने चंदा कोचर का बचाव करते हुए कहा था की बैंक को उनमें पूरा विश्वास है.

कोचर दंपत्ति पर असहयोग का आरोप

बता दें कि सीबीआई ने 23 दिसंबर को चंदा और दीपक कोचर को 2012 में वीडियोकॉन समूह को स्वीकृत बैंक ऋण में धोखाधड़ी और अनियमितताओं के सिलसिले में पूछताछ के लिए बुलाया था. सीबीआई का कहना था की कोचर दंपत्ति जाँच में सहयोग नहीं कर रहे हैं और जवाब देने में टालमटोल कर रहे हैं, जिसके बाद चंदा और दीपक कोचर को हिरासत में ले लिया गया था. इसके बाद 26 दिसंबर को वीडियोकॉन ग्रुप के फाउंडर वेणुगोपाल धूत को भी पहले पूछताछ के लिए बुलाया गया और बाद में उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया था.