टीम इंस्टेंटखबर
हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों गुटों के खिलाफ केंद्र सरकार यूएपीए के तहत प्रतिबंध लगा सकती है. अधिकारियों ने आगे कहा कि पाकिस्तान में इंस्टीट्यूट्स द्वारा कश्मीरी छात्रों को एमबीबीएस सीटें देने की हालिया जांच से संकेत मिलता है कि कुछ संगठनों द्वारा उम्मीदवारों से इकट्ठे किए गए पैसे का इस्तेमाल केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी संगठनों को वित्तीय मदद पहुंचाने के लिए किया जा रहा था.
अधिकारियों ने कहा कि हुर्रियत के दोनों धड़ों पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 3 (1) के तहत प्रतिबंध लगने की संभावना है.
दोनों गुटों पर बैन लगाने वाला यह प्रस्ताव केंद्र की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत पेश किया गया है. हुर्रियत कॉन्फ्रेंस साल 1993 में 26 समूहों के साथ अस्तित्व में आया था, जिसमें कुछ पाकिस्तान और प्रतिबंधित संगठन जैसे जमात-ए-इस्लामी, जेकेएलएफ और दुख्तारन-ए-मिल्लत के समर्थक शामिल थे. इसमें पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी भी शामिल थी.
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