नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) का बकाया सरकारी खजाने में अभी तक जमा न करने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को जमकर लताड़ा है। अदालत ने यह कहते हुए सरकार की भी खिंचाई की है कि उसने अदालत के फैसले का दुरुपयोग किया है।

जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली तीन जजों की पीठ ने सोलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि सार्वजनिक उपक्रमों (पीएसयू) से चार लाख करोड़ रुपये की पूर्णः गैर अनुमति प्राप्त मांग क्यों की गई। एजीआर की विशाल बकाया राशि आगामी 20 साल के दौरान धीरे-धीरे चुकाने के लिए टेलीकॉम कंपनियों को अनुमति देने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसने भविष्य में 20 साल का समय देखा है।

दूरसंचार विभाग की ओर से मेहता ने अदालत में कहा कि केंद्र सरकार ने इस मसले का गहराई से अध्ययन किया है और उसने राहत पैकेज जारी किया है। उन्होंने कहा कि कंपनियों के लिए एक बार इतनी बड़ी बकाया राशि अदा करना मुश्किल है। अगर अदालत इसकी अनुमति नहीं देती है तो टेलीकॉम सेक्टर, नेटवर्क और आखिर उपभोक्ताओं पर बुरा असर पड़ेगा।

मेहता ने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों से बकाया राशि की मांग जारी किए जाने की वजह बताने के लिए केंद्र सरकार शपथ पत्र जारी करेगी। इसके बाद अदालत ने सरकार से उपक्रमों की मांग पर विचार करने को कहा।