लखनऊः
दलित मुस्लिम और ब्राह्मण गठजोड़ के समीकरण को बनाकर यूपी की सत्ता हासिल करने वाली मायावती अब पार्टी में युवाओं को 50 प्रतिशत भागीदारी देंगी. मायावती का मानना है कि अपने इस प्रयोग के जरिए आगामी लोकसभा चुनावों में बसपा के एक बड़ी ताकत बनकर उभरेगी.

जिसके चलते मायावती यूपी में दलित, मुस्लिम और अति पिछड़ी जातियों के वोट पाने पाने के लिए लोकसभा चुनाव के पहले नये सिरे से रणनीति तैयार कर रही है. जिसमें युवाओं पर फोकस होगा और पार्टी में युवाओं की भागीदारी 50 फीसदी से ज्यादा की जाएगी. बसपा अध्यक्ष मायावती का 15 जनवरी को 67वां जन्मदिन है. जन्मदिन के पहले मायावती ने युवाओं को पार्टी से जोड़ने का दांव चला है.

बताया जाता है कि मायावती को राज्य में भीम आर्मी के चंद्रशेखर आजाद जैसे नेताओं के मजबूत होकर उभरने की चिंता है. जिसके चलते उन्होने अपने भतीजे आकाश जो पार्टी के नेशनल कॉर्डिनेटर को युवाओं को जोड़ने की ज़िम्मेदारी सौंपी है. मायवाती को उम्मीद है कि आकाश पार्टी के 12.8 फीसदी पर पहुंच गए वोटबैंक को बढ़ाने में सफल होंगे.

बसपा को बीते विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक विधानसभा सीट मिली थी. जबकि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा-राष्ट्रीय लोकदल के साझा गठबंधन के साथ लड़ने पर उसे 10 सीटों पर जीत हासिल हुई थी, लेकिन विधानसभा आमचुनाव में पार्टी को निराश होना पड़ा है. अब पार्टी के वजूद को फिर से मजबूत आधार देने के लिए मायावती ने युवाओं पर ध्यान केन्द्रित किया है.

ताकि पार्टी को नए सिरे से खड़ा करते हुए उसे भाजपा का मुक़ाबला करने योग्य बनाया जा सके. इसी सोच के तहत मायावती ने विधानसभा क्षेत्र स्तर तक के पदाधिकारियों के कामकाज की साप्ताहिक रिपोर्ट मायावती ने मांगी है. ताकि पार्टी के जनाधार को बढ़ाने के लिए ठोस पहल की जा सके. मायावती ने बूथ स्तर तक की सभी समितियों की सुरक्षा के निर्देश पिछले महीने दिए थे.

उन्होंने साफ कहा था कि जो निष्क्रिय हैं, उनको बाहर कर सक्रिय युवाओं को जगह दी जाए. संगठन के इस काम की समीक्षा सभी जिला और मंडल स्तर के पदाधिकारी कर रहे हैं. इस कवायद का मकसद है कि 2024 से पहले हर गांव में बूथ स्तर तक सक्रिय कार्यकर्ताओं का संगठन तैयार करना है. और युवाओं को पार्टी से जोड़ना है..