• देश भर के विभिन्न शहरों के 20,000 छात्रों की वर्चुअल रूप में रही सहभागिता
  • मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और जयपुर से फाउंडेशन के 434 स्टूडेंट ‘हेल्थ मॉनिटर्स’ ने एक ज्यादा सेहतमंद और उज्ज्वल भविष्य के लिए उठाई आवाज

मुंबई: विश्व कैंसर दिवस के अवसर पर सलाम बॉम्बे फाउंडेशन (SBF) के प्रिवेंटिव हेल्थ प्रोग्राम के 20,000 छात्र लाभार्थियों ने फाउंडेशन की 15वीं स्टूडेंट हेल्थ असेंबली में हिस्सा लिया। निजी स्कूलों में मॉडल यूनाइटेड नेशंस (MUN) की तर्ज पर बनाई गई यह असेंबली पहली बार वर्चुअली और राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गई। एक अनूठे मंच के तौर पर असेंबली ने एसबीएफ के हिमायत और नेतृत्व फोरम्स (बाल परिषद और बाल पंचायत) के छात्र नेताओं को नीति निर्माताओं और हितधारकों से सीधे सवाल करने का अवसर प्रदान किया। इनमें फिलहाल जारी महामारी पर विशेष फोकस रखते हुए स्वास्थ्य, पोषण और मानसिक कल्याण से जुड़े अहम सवाल शामिल थे। इस आयोजन में डॉ. कृष्णा मेथेकर – डिप्टी डायरेक्टर, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण FSSAI, भारत सरकार; श्री प्रवीण पाटिल – (IPS) डीसीपी, महाराष्ट्र पुलिस विभाग; सुश्री संघमित्रा त्रिभुवन – डिप्टी डायरेक्टर, शिक्षा विभाग, महाराष्ट्र; डॉ. पद्मजा जोगेवार – जॉइंट डायरेक्टर, नोडल अधिकारी, लोक स्वास्थ्य विभाग महाराष्ट्र और सुश्री मानसी गोखले – मैनेजर, आउटरीच और कंटेंट, एमपावरमाइंड्स सहित प्रतिष्ठित हस्तियों के एक पैनल ने भाग लिया।

सलाम बॉम्बे फाउंडेशन की वाइस प्रेसिडेंट, प्रोजेक्ट्स (preventive and health research ), त्शेरिंग डी. भूटिया ने इस आयोजन के बारे में बात करते हुए कहा, “स्टूडेंट हेल्थ असेंबली उन शासकीय और शासन से सहायता प्राप्त स्कूलों के ‘छात्रों के लिए छात्रों के द्वारा’ विशेष रूप से तैयार एक बेहद जरूरी पहल है, जहां सलाम बॉम्बे फाउंडेशन अपने कार्यक्रम चलाता है। इसके अंतर्गत होने वाली परस्पर बातचीत से आइडियाज का विचारोत्तेजक आदान-प्रदान होता है और इससे छात्र प्रतिनिधियों व सरकारी हितधारकों के बीच अत्यावश्यक संवाद में मदद मिलती है। इसके नतीजतन नीतिगत और सामुदायिक दोनों स्तरों पर प्रभावी बदलाव आते हैं। इस तरह की पहलों के माध्यम से प्रिवेंटिव हेल्थ प्रोग्राम छात्रों के आत्मविश्वास और स्वाभिमान को बढ़ावा देते हुए उन्हें मार्गदर्शन प्रदान करता है। इससे वे खुद को अपने समुदायों के लिए परिवर्तन लाने वाले प्रतिनिधियों में बदल पाते हैं। इस कार्यक्रम के जरिए छात्रों को कानून निर्माताओं, मीडिया और समुदायों के साथ काम करते हुए अपनी पूरी क्षमता का पता लगाने का अवसर मिलता है।”

आयोजन में ‘हेल्थ मॉनिटर्स’ ने अपने व्यापक सामुदायिक संपर्क के तहत किए गए सर्वेक्षण से मिली जानकारियों और सीखों के आधार पर प्रश्न पूछे। ये ‘हेल्थ मॉनिटर्स’ युवा छात्र दूत हैं। ये छात्र एसबीएफ के प्रोजेक्ट ‘खाना’ का हिस्सा हैं, जो स्कूल आधारित स्वास्थ्य और पोषण पर एक परियोजना है। म्यूनिसिपल स्कूलों के बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य के साथ यह कार्यक्रम छात्रों को उचित पोषण के महत्व के बारे में शिक्षित करने से भी आगे बढ़कर उन्हें अपने समुदाय के भीतर सेहतमंद प्रथाओं का दूत बनने के लिए प्रोत्साहित करता है। इन छात्र नेताओं को अपने साथियों के बीच उचित पोषण का महत्व, सस्ती और आसानी से उपलब्ध सामग्री से संतुलित भोजन तैयार करने वाली विधियां, जंक फूड के दुष्प्रभाव, पोषण में स्वच्छता की भूमिका और शारीरिक व्यायाम का महत्व जैसी बातों को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।

इसके अलावा, फाउंडेशन के प्रिवेंटिव हेल्थ प्रोग्राम ने जारी महामारी के दौरान आगे बढ़कर अपने छात्र लाभार्थियों तक पहुंच बनाई और ऑनलाइन सत्रों के जरिए उन्हें प्रतिरक्षा बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों, माइक्रो-ग्रीन्स और किचन गार्डनिंग के महत्व की जानकारी दी।

2007 से, एसबीएफ के बाल पंचायत और बाल परिषद जैसे फोरम सरकारी स्कूल के छात्रों को अपनी आवाज उठाने और विभिन्न ऐसे मुद्दों पर कार्रवाई शुरू करने का अवसर दे रहे हैं जो उनके स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करते हैं। इन गतिविधियों के माध्यम से छात्र जो कि फाउंडेशन के इन-स्कूल प्रिवेंटिव हेल्थ प्रोग्राम का भी हिस्सा हैं, साथी हिमायतियों का नेटवर्क विकसित करते हैं और अपने समुदायों में बदलाव के लिए रणनीतियां साझा करते हैं। बाल पंचायत के चुनिंदा स्कूल सदस्य बाल परिषद बनाते हैं। यह परिषद हर साल नीति निर्धारकों से मिलती है। इन नीति निर्धारकों में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ सरकारी अधिकारी शामिल होते हैं।