नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस महामारी का रूप लेता जा रहा है , देश में करों से संक्रमितों की संख्या 60 हज़ार के नज़दीक पहुँच चुकी है| यह आंकड़ा शायद और बड़ा नज़र आता अगर कोरोना की टेस्टिंग देश में बड़े पैमाने पर होती| कहा यह भी जा रहा है कि जिन राज्यों में ज़्यादा टेस्टिंग हो रही है वहां ज़्यादा केस सामने आ रहे हैं|

बात अगर टेस्टिंग करें तो महाराष्ट्र सबसे आगे है| महाराष्ट्र में 2 लाख से अधिक कोविड-19 परीक्षण हो चुके हैं जो देशभर में सबसे अधिक हैं. राज्य में पिछले पांच दिनों में परीक्षण का आंकड़ा प्रत्येक 10 लाख लोगों में 1423 से बढ़ाकर 1640 हो गया है. कोरोना टेस्टिंग के मामले में बड़े राज्यों में बिहार सबसे फिसड्डी है जहाँ अबतक सिर्फ तीस हज़ार covid-19 के टेस्ट हुए हैं, भाजपा के दूसरे शासित राज्य मध्य प्रदेश में 63 हज़ार, यूपी में एक लाख 19 हज़ार और गुजरात में एक लाख पांच हज़ार लोगों का टेस्ट हुआ है| अगर हम सारे राज्यों पर नज़र डालें तो पाते हैं कि भाजपा शासित राज्यों की अपेक्षा गैर भाजपा शासित राज्य कोरोना टेस्ट के मामले में काफी आगे हैं|

महाराष्ट्र ने अब तक सबसे अधिक 19063 पॉजिटिव मामलों के साथ 2 लाख परीक्षण किए हैं. प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर कोविड-19 पॉजिटिव मामलों में महाराष्ट्र देश में टॉप पर है. विभिन्न आधिकारिक स्त्रोतों से प्राप्त डाटा के अनुसार भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने एक दिन के अंदर परीक्षण दोगुना कर दिया है. गुरुवार को 80632 की तुलना में 8 मई को परीक्षण की संख्या 161007 पर पहुंचाकर इसने नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वास्थ्य अधिकारियों को निर्देश के बाद परीक्षण में तेजी आई है. प्रधानमंत्री ने कहा है कि यदि संभव हो तो 2 लाख परीक्षण रोजाना किए जाएं ताकि लॉकडाउन पर किसी निर्णय से पहले कोविड-19 संकट की जमीनी हालात का आकलन किया जा सके. उन्होंने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और आईसीएमआर के अधिकारियों समेत परीक्षण के लिए गठित टास्क फोर्स से बात की थी. प्रधानमंत्री इस बाच से चिंतित थे कि राज्य पर्याप्त परीक्षण नहीं कर रहे हैं. उन्होंने राज्यों को पर्याप्त परीक्षण के प्रेरित किया. आईसीएमआर ने आज तक करीब 15 लाख लोगों का परीक्षण कर लिया है।

दिल्ली प्रत्येक 10 लाख लोगों में 3842 का परीक्षण कर देश में चोटी पर है जबकि महाराष्ट्र में प्रत्येक 10 लाख की आबादी पर परीक्षण का आंकड़ा 1640 है. चिंता की बात यह है कि जबकि राज्यों में परीक्षण का ग्राफ दोगुना हो रहा हो तो नीतीश कुमार का बिहार पिछड़ रहा है. इसने 5 मई को प्रत्येक 10 लाख की आबादी में किए गए 267 परीक्षण की तुलना में आज 261 परीक्षण किए. उत्तर प्रदेश में भी परीक्षण का ग्राफ काफी कम है जहां 498 परीक्षण हुए हैं.