दिल्ली:
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने सोमवार को अपना नामांकन दाखिल करने के बाद प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि जिस बीजेपी का मैं हिस्सा था, उसमें आंतरिक लोकतंत्र था. राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन के लिए मैं भाजपा के अपने पुराने साथियों से संपर्क करने का प्रयास करूंगा. उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति चुनाव निरंकुश शक्ति की विचारधारा और उससे आजादी की लड़ाई है.

यशवंत सिन्हा ने कहा कि मैं आभारी हूं विपक्षी दलों का जो वो एक साथ आए. राष्ट्रपति उम्मीदवार के मुझे चुना. मुझे कहा जा रहा है कि चौथी पसंद हूं. मैं दसवें नंबर पर भी होता तो स्वीकार करता और इस लड़ाई में अपना योगदान देता. यशवंत सिन्हा ने कहा, यह दो व्यक्तियों की लड़ाई नहीं है. यह पद गरिमा प्रतीक है. मेरे नाम का ऐलान पहले हुआ. सरकार ने कोई गंभीर कोशिश नही की, बस औपचारिकता पूरी की.

यशवंत सिन्हा ने कहा वो व्यक्ति राष्ट्रपति न बने जो सरकार के कब्जे में है. राष्ट्रपति केवल रबर स्टांप न बने, बल्कि अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करे. प्रजातंत्र देश मे पंगु हो गया है. सरकार देश की एजेंसीयो का दुरुपयोग कर रही है .

यशवंत सिन्हा ने कहा, आजकल संसद की स्थायी समिति को पंगु कर दिया गया है. यह दो विचारधारा की लड़ाई है. यह यही नही रुकेगी. आगे भी एक साथ रहेगी। अंत मे हम ही सफल होंगे क्योंकि सच्चाई हमारे साथ है. सिन्हा ने कहा कि 2016 से विकास दर से गिरावट शुरू हुआ . पहले 8 फीसदी से ऊपर था. यही वजह है यूथ सड़कों पर है . देश की राजनीति की चर्चा विदेशों में करते हैं पीएम पहले नही होता था यह सब. हमारी पीढ़ी ने प्रजातंत्र को मजबूत किया. अब देख रहा है कि लोकतंत्र मर है . खून का कतरा भी बचेगा तो लड़ूंगा. कितना वोट है या नही कोई मायने नही रखता. सबसे संपर्क करुंगा. पीएम के यहां मैसेज छोड़ा कोई जवाब नही आया. राजनाथ से बात नही हो पाई.

यशवंत सिन्हा ने कहा कि ये बात ग़लत है कि कोई आदिवासी पहली बार खड़ा हो रहा है. पीए संगमा भी पहले इस पद के लिए खड़े हो चुके हैं. बेटे जयंत सिन्हा पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि, मेरा बेटा राज धर्म का पालन कर रहा है. मैं राष्ट्र धर्म का. बिहार या झारखंड के लोग ऊपर भले ही कुछ कह रहे है लेकिन अंदर बात कुछ और है. उन्होंने कहा कि बीजेपी, जिसका मैं सदस्य था उसमें आंतरिक लोकतंत्र था अब में नही है. लोकतांत्रिक ढांचे पर हमले हो रहे हैं.