वाशिंगटन: बाइडेन ने कड़वी सच्चाई क़बूल की परंतु माफ़ी नहीं मांगी और कहा अमेरिका में अभी भी नस्ल परस्ती मौजूद है

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि अभी भी अमेरिका में नस्ल परस्ती मौजूद है। उन्होंने अमेरिकी राज्य ओकलाहोमा के टल्सा शहर में गोरे लोगों के हाथों श्याम वर्ण के लोगों के जनसंहार की 100वीं बर्सी पर कहा कि अमेरिकी इतिहास में काले अध्याय हैं जिन्हें स्वीकार करना चाहिये।

उन्होंने कहा कि यह वह कार्य है जिसे दुनिया के लोग अंजाम देते हैं और हमें बुरे- भले में अंतर करना चाहिये। बाइडेन ने 100 साल पहले 1921 में टल्सा शहर में भेंट चढ़ने वाले परिजनों के मध्य कहा कि 6 जनवरी को वाशिंग्टन में अमेरिकी कांग्रेस पर हमला भी अमेरिकी इतिहास का एक काला अध्याय है।

उन्होंने कहा कि ग्रीनवूड में श्यामवर्ण के लोगों की हत्या घरेलू आतंकवाद का चिन्ह है और जो हमारे ज़ेहन के इतिहास में बैठ गयी है। इस नरसंहार में बच जाने वालों ने बाइडेन का आह्वान किया कि वह इस घटना के ज़िम्मेदारों के संबंध में न्याय लागू करें और बाकी रह जाने वालों की क्षतिपूर्ति के संबंध में ज़रूरी क़दम उठायें।

जब उनसे एक पत्रकार ने पूछा कि टल्सा में होने वाले नरसंहार के बारे में अमेरिका को आधिकारिक रूप से क्षमा मांगनी चाहिये या नहीं तो उन्होंने इस प्रश्न का जवाब नहीं दिया।

ज्ञात रहे कि 31 मई और पहली जून 1921 को अमेरिका ओकलाहोमा राज्य के गोरे लोगों ने राज्य के तल्सा नगर के ग्रीनवूड क्षेत्र में काले लोगों का जनसंहार किया था। इस नरसंहार में श्यामवर्ण के हज़ारों लोग बेघर हो गये थे और वे कुछ समय तक अमेरिकी नेश्नल गार्ड के कैम्पों में रहने के लिए बाध्य थे।

यह अमेरिकी इतिहास की रक्त रंजित घटनाओं में से एक है और 100 साल का समय बीत जाने के बाद इस घटना के ज़िम्मेदारों को न तो गिरफ्तार किया गया और न ही उन पर किसी प्रकार का मुकद्दमा चलाया गया।

यही नहीं इस घटना से पीड़ित परिवारों को न तो अभी तक कोई हर्जाना दिया गया है और न ही अमेरिकी सरकार ने इस घटना पर आधारिक तौर पर मांफी मांगी है।

ज्ञात रहे कि जो बाइडेन का बयान ऐसी स्थिति में सामने आ रहा है जब अमेरिका दूसरे देशों को समानता और डेमोक्रेसी का पाठ पढ़ाता फ़िरता है।