लखनऊ:
आज उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद हेतु चुनाव लड़ रहे लोकसभा सांसद शशि थरूर जी ने प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि सिर्फ कांग्रेस ही एक मात्र ऐसी पार्टी है जिसमें राष्ट्रीय पद हेतु लोकतांत्रिक प्रणाली को अपनाकर चुनाव कराया जाता है। उन्होंने पार्टी के उदयपुर घोषणापत्र को लागू करने की जरूरत दोहराते हुए कहा कि ‘एक व्यक्ति एक पद’ की व्यवस्था अमल में लाई जानी चाहिए. थरूर ने खरगे गुट पर निशाना साधते हुए कहा, ‘मैं जानता हूं कि मेरे कुछ साथी नेतागीरी में पड़े हैं और पार्टी कार्यकर्ताओं से कह रहे हैं कि उन्हें पता है कि सोनिया गांधी क्या चाहती हैं और किसे (अध्यक्ष बनाना) चाहती हैं. इस तरह की नेतागीरी सिर्फ उत्तर प्रदेश तक ही सीमित नहीं है. यह अनेक राज्यों में फैली है. क्या आपको (पार्टी कार्यकर्ताओं) उन सोनिया गांधी की जुबान पर भरोसा नहीं है, जो पार्टी चला रही हैं. उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि आप चुनाव लड़ें और हम (गांधी परिवार) तटस्थ रहेंगे.’

शशि थरूर ने पार्टी संगठन में आमूल-चूल आधारभूत परिवर्तन की प्रक्रिया को अपनाये जाने पर जोर देते हुए पीसीसी सदस्यों से अपील करते हुए कहा कि मेरे दस सिद्धान्त आपके समक्ष रखे गये हैं। मेरी सफलता के बाद उस पर निश्चित तौर पर अमल किया जायेगा। जैसे कि सभी स्तरों पर नेतृत्व में नए चेहरों और युवा शक्ति को शामिल करें। पार्टी में व सरकार में पद पर नियुक्तियों और राजनैतिक सशक्तिकरण के माध्यम से लंबे समय से पार्टी में काम कर रहे कार्यकर्ताओं के प्रयासों और बलिदानों का सम्मान करें। उन्होंने संगठन कार्य का विकेंद्रीकरण की बात कही।

मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों को वास्तविक अधिकार देकर राज्यों में पार्टी को सशक्त बनाना और जमीनी स्तर पर कांग्रेस संगठन को सशक्त बनाना उनकी प्राथमिकता होगी। भाजपा के सत्ता के केंद्रीकरण से अलग एक विश्वसनीय राजनैतिक विकल्प पेश करें। राज्यों का मजबूत प्रांतीय नेतृत्व तैयार करें, जैसा कि पिछले दशकों में रहा है, जिसने कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनैतिक अपील को मजबूत किया जा सके।

थरूर ने आगे कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सप्ताह में दो बार कार्यकर्ताओं के साथ बातचीत करेंगे और एआईसीसी के विभिन्न विभागों और फ्रंटल संगठनों के पदाधिकारियों के साथ हर तिमाही में बैठक करेंगे। संगठन की दृष्टि से देश में पार्टी को 5 क्षेत्र इकाइयों में बांटकर 5 उपाध्यक्ष इसके लिए अधिकृत किए जाएंगे। संगठन के राष्ट्रीय महासचिवों को विषयगत जिम्मेदारियां दी जाएगी। कांग्रेस कार्यसमिति हर माह बैठक करेगी। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का पूर्ण अधिवेशन 5 साल में होगा। पार्टी अध्यक्ष एवं अन्य सभी पदाधिकारी के लिए 5 वर्ष के केवल 2 सीमित कार्यकाल ही रहेंगे।

शशि थरूर ने कहा कि आईएनसी का अर्थ ‘‘समावेशी भारत’’ है यह समावेशी भारत देश की विविधता का सम्मान करता है, देश में अनेकरूपता से महिमामंडित व गौरवान्वित होता है, धर्मनिरपेक्षता का अभिनंदन व समर्थन करता है, नागरिक स्वतंत्रता का समर्थन करता है, वंचित, शोषित व गरीब के लिए एक आश्रय प्रदान करता है, सामाजिक न्याय के लिए संघर्ष करता है, समान विकास का समर्थन करता है। एक ठोस सशक्त राष्ट्रीय सुरक्षा नीति और हमारी नेहरूवादी विरासत को ध्यान में रखते हुए आश्वस्त विदेश नीति इस समावेशी भारत में निहित है।

कांग्रेस अध्यक्ष पद के प्रत्याशी शशि थरूर संसदीय बोर्ड और सलाहकार तंत्र को राष्ट्रीय स्तर पर पुनर्जीवित और सुदृढ़ करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह धारणा है कि संगठन में निर्णय प्रक्रिया कुछ सीमित व्यक्तियों के बीच केंद्रित है। इस अवधारणा को दूर किया जाए और 25 सदस्यीय कांग्रेस कार्यसमिति में पार्टी संविधान के अनुसार 12 सीटों के लिए चुनाव हो। सरकार को प्रशासनिक और नियमित नीतिगत विषयों पर चर्चाओं में, आमजन के बीच चुनौती देने के लिए तथा दैनिक व सामायिक विषयों पर पार्टी स्टैंड को स्पष्ट और निश्चित करने के लिए ‘‘छाया कैबिनेट’’ का गठन हो। 2022 की उदयपुर घोषणा को लागू करें एक व्यक्ति 1 पदों के लिए अवधि सीमा सामान्यतः 2 साल, हर स्तर के चुनावों में 50 प्रतिशत 50 वर्ष से कम आयु वालों के लिए, और महिलाओं, युवाओं, अनुसूचित जाति/पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यकों के लिए संगठन व चुनावों में प्रतिनिधित्व में वृद्धि हो।

कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष पद प्रत्याशी थरूर ने चुनाव से कम से कम 3 महीने पहले उम्मीदवार के चयन के लिए बैठकें होनी चाहिए और नामांकन प्रक्रिया पूरी होनी चाहिए। इस विषय पर एंटोनी कमेटी की रिपोर्ट लागू करेंगे। हमारे चुनाव प्रबंधन में सुधार के लिए नई प्रबंधन तकनीक व सिस्टम टूल्स प्रौद्योगिकी और डेटा का उचित उपयोग हो व इससे उपयुक्त सहायता ली जाए। लगातार दो चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों को एक ही सीट के लिए बार-बार पार्टी का अधिकृत उम्मीदवार नामांकित नहीं किया जाएगा। लगातार चुनाव जीते निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के लिए कोई अवधि सीमा नहीं रहेगी।

थरूर ने अपने अपील पत्र में दावा किया है कि बेरोजगार, युवाओं, युवा उन्मुख व्यवसायिक कार्यस्थलों और प्रवासी कामगारों के केंद्रों पर उनको पार्टी की राजनीतिक मुख्यधारा से जोड़ने व उनमेें पार्टी की पैठ बनाने के लिए बड़ी योजना पर कार्यान्वयन करेंगे। जैसे सेवादल, युवक कांग्रेस, भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन व कांग्रेस के अन्य फ्रंटल संगठनों के कार्यकलापों में संगठनात्मक ढांचे में आवश्यक परिवर्तन लाकर उनकी कार्यशैली में सुधार लाएंगे और उन्हें और संगठित व मजबूत करेंगे और उनके माध्यम से, भारतीयों को, विशेष तौर पर युवा भारतीयों को समझाएंगे कि हम उनकी आकांक्षाओं व अपेक्षाओं को समझते हैं और उन्हें संगठन व सरकार में अधिक हिस्सेदारी देने के लिए भरोसा देते हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष पद प्रत्याशी थरूर महिलाओं के नेतृत्व योग्यता को प्रोत्साहित करेगी, महिलाओं के लिए, (‘‘लड़की हूं, बालिका शक्ति हूं,’’सिद्धांत) पीसीसी, पार्टी संगठन और राज्यों व राष्ट्रीय चुनावों में अधिकाधिक भागीदारी के लिए विशेष रूप से प्रयासरत रहेगी। महिला आरक्षण विधेयक को पारित कराने के लिए पार्टी प्रयत्नशील रहेगी। अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की भूमिका और क्षमता को मजबूत किया जाएगा।

उन्होंने अपने चुनावी घोषणा पत्र में निजी क्षेत्र में धन सृजन पूंजी निर्माण और रोजगार सृजन को ना केवल प्रोत्साहित करने की बात कही है। उन्होंने इस प्रकार की गई राजस्व वृद्धि को गरीबों और वंचित वर्ग के लोगों में वितरित कर उनके आर्थिक विकास पर जोर देने की बात कही। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मध्य, छोटे व कुटीर उद्योग क्षेत्र को पुनर्जीवित कर राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रासंगिक व प्रतिस्पर्धात्मक बनाने के लिए निरंतर प्रयास जारी रहेंगे। वाणिज्यिक व्यवसायिक पेशेवर व्यक्तियों तक पहुंच को मजबूत करके पार्टी के साथ उनके कांग्रेस से ऐतिहासिक संबंधों में रचनात्मक जुड़ाव की पुनः संरचना करेंगे।

अंत में थरूर ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को केवल चुनाव लड़ने के साधन के रूप में नहीं देखा जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि उनकी जीत पर पार्टी वंचित, शोषित व गरीब जो खुद की मदद नहीं कर सकते, उनके हित के लिए उनके सामाजिक उद्धार व विकास को राजनीति के चिंतन मनन, आचार विचार व आचरण को मुख्य लक्ष्य मानकर कार्य करने की पुरानी परंपरा पर लौटेगी।