लखनऊ: सत्य अहिंसा और प्रेम का मार्ग बताने वाले महात्मा गांधी ने संगीत और भजनों के माध्यम से भी एकता का अहम संदेष दिया है। उत्तर प्रदेष संगीत नाटक अकादमी के कथक केन्द्र की ओर से उनकी 151वीं वर्शगांठ पर बापू के प्रिय भजनों को कथक संरचनाओं को कार्यक्रम ‘वैष्णव जन तो तैने कहिए….’ में ढालकर अकादमी भवन परिसर गोमतीनगर के मुक्ताकाष मंच पर नृत्य कलाकारों ने यहां कोविड-19 के नियमों के तहत ई-पास से पहुंचे सीमित दर्षकों के बीच प्रस्तुत किया। प्रस्तुति अकादमी फेसबुक पेज पर भी लाइव थी।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में अकादमी के सचिव तरुण राज ने दीप प्रज्ज्वलित कर राश्ट्रपिता के चित्र पर माल्यार्पण कर नमन किया। गणमान्य अतिथियों और दर्षकों का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि लगभग डेढ़ सौ वर्ष पहले जब महात्मा गांधी का जन्म हुआ तो तबसे आज की स्थितियां बहुत फर्क हैं, परंतु उनके परिस्थितियों से संघर्ष से और उनकी सत्य पर अडिग रहने वाली अहिंसावादी प्रेमपरक बातों से आज हम बहुत कुछ ग्रहण करने में सक्षम हैं। उनकी पुस्तकें सारी दुनिया में आज भी बहुत पसंद की जाती हैं क्योंकि वह प्रासंगिक और प्रेरक हैं।

कथक केन्द्र की प्रषिक्षिकाओं श्रीमती श्रुति षर्मा व सुश्री नीता जोषी के नृत्य निर्देषन में कथक केन्द्र की वरिष्ठ छात्राओं ने भजनों पर कथक संरचनाओं की भावप्रवण प्रस्तुतियां दीं। राष्ट्रवंदन स्तुति वन्दे मातरम…. पर समवेत नृत्य से प्रदर्षन का आरम्भ हुआ। दूसरी प्रस्तुति बापू के प्रिय भजन- ‘वैष्णव जन तो…..’ की भक्ति और करुणा के भाव से ओतप्रोत रही। इसी क्रम में प्रस्तुत युगलबंदी की प्रस्तुति कथक के षुद्ध पक्ष को तत्कार आदि के साथ दर्षनीय रूप में सामने रखा। भजनों पर कथक की इन प्रस्तुतियांें में- रघुपति राघव राजाराम…… भी हारमोनियम पर बैठे प्रस्तुति के संगीतकार गायक कमलाकांत के स्वरों में और निखरकर सामने आई। अवसर मिलने पर तबले पर संगत कर रहे विकास मिश्र, सितार पर डा.नवीन मिश्र और बांसुरी पर दीपेन्द्र कंुवर ने भी अपना कौषल दिखाया। प्रस्तुति में नृत्यांगनाओं के तौर पर दोनों प्रषिक्षिकाओं के साथ छात्रा प्रियम यादव, षरण्या षुक्ला, अनन्त षक्तिका, सृष्टि प्रताप व विधि जोषी मंच पर उतरीं। अकादमी प्रवेष द्वार पर दर्शकों की थर्मल स्क्रीनिंग, और हाथों के ‘सैनेटाईजेषन’ इत्यादि की व्यवस्था की गयी थी।