नई दिल्ली: एक बहुत पुरानी कहावत है “गुड़ खाएं गुलगुलों से परहेज़”. यह कहावत आज उस वक़्त चरितार्थ होती नज़र आयी जब राजनीति से सन्यास लेने की घोषणा कर चुके भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो जे पी नड्डा से मुलाक़ात के बाद के बाद कहा कि सांसद बना रहूंगा मगर राजनीति नहीं करूंगा। मतलब गुलगुले (सांसदी) खाने को तैयार हैं मगर गुड़ (राजनीति) से परहेज़ रखेंगे।
राजनीति छोड़ने और सांसद का पद त्यागने का फैसला करने के एक दिन बाद ही पूर्व मंत्री बाबुल सुप्रियो ने अपने इस फैसले को रद्द कर दिया. बॉलीवुड गायक से नेता बने सुप्रियो ने सोमवार को कहा कि वो बिना राजनीति रूप से सक्रीय रहे अपनी संसदीय जिम्मेदारी का निर्वहन करते रहेंगे.
दरअसल बंगाल के आसनसोल से सांसद सुप्रियो को हाल ही केंद्रीय कैबिनेट से बाहर कर दिया गया था. उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट लिखते हुए राजनीति से अलविदा लेना का ऐलान किया था. उन्होंने लिखा था, ‘जा रहा हूं.. अलविदा… अगर आप सोशल वर्क करना चाहते हैं तो वह बिना राजनीति में रहे भी कर सकते है.’ कई विपक्षी पार्टियों जैसे टीएमसी प्रवक्ता कुनाल घोष ने इसे ड्रामा कहा था.
हालांकि जेपी नड्डा से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, ‘मैं सांसद बना रहूंगा, लेकिन राजनीति छोड़ दूंगा. मैं संवैधानिक पद पर बना रहूंगा. मैं किसी भी राजनीतिक गतिविधि में शामिल हुए बिना संवैधानिक जिम्मेदारी का निर्वहन करूंगा.’
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