हमीरपुर: मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली फाइलेरिया की बीमारी के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। पिछले एक साल के अंदर ऐसे कई मरीज सामने आ चुके हैं, जिन्होंने फाइलेरिया के शुरुआती लक्षणों को भांपकर समय रहते उपचार करा लिया और इस गंभीर बीमारी से बच गए। साल में एक बार तीन से पांच साल तक दवा का सेवन करने से फाइलेरिया से बचा जा सकता है।
यमुना-बेतवा जैसी बड़ी नदियों के बीच घिरे जनपद मुख्यालय में जलजमाव की स्थिति सामान्य है। लेकिन दूरस्थ इलाकों की स्थिति इससे भिन्न है। पानी के भराव वाले इलाकों में पैदा होने वाले मादा क्यूलेक्स मच्छर के काटने से लोग फाइलेरिया की चपेट में आ जाते हैं। बीते कुछ सालों से जनपद में धान की खेती का रकबा भी बढ़ा है, इस वजह से भी धान की खेती वाले इलाकों से भी फाइलेरिया के रोगियों के मिलने का सिलसिला शुरू हो गया। मलेरिया विभाग हर साल लोगों को मच्छरजनित रोगों से बचाव के प्रति जागरूक भी कर रहा है और अब फाइलेरिया को लेकर भी खासा जोर दिया जा रहा है ताकि लोग इस बीमारी के प्रकोप से बच सकें।
शुरुआती लक्षणों के बाद उपचार से मिला लाभ
सुमेरपुर ब्लाक के पचखुरा गांव के 65 वर्षीय किसान, मौदहा ब्लाक के अरतरा गांव की 12 साल की बच्ची, इसी गांव का 51 साल के व्यक्ति और मुख्यालय के लक्ष्मीबाई पार्क के 65 वर्षीय बुजुर्ग इन सभी को गुजरे साल फाइलेरिया के शुरुआती लक्षण हुए थे। जिला मलेरिया अधिकारी आरके यादव बताते हैं कि इन सभी ने समय रहते जांच करवाई, जिसमें इनके फाइलेरिया से ग्रसित होने की पुष्टि हुई। इन चारों लोगों को अलग-अलग पैर में फाइलेरिया की शिकायत थी। सभी का उपचार शुरू हुआ और नियमित दवा का सेवन करने से अब यह लोग फाइलेरिया से मुक्त हैं लेकिन अभी इन्हें दो से लेकर पांच साल तक नियमित दवा खानी होगी ताकि भविष्य में कभी दिक्कत न हो। डीएमओ ने बताया कि जनपद के सुमेरपुर, कुरारा और मौदहा ब्लाकों में फाइलेरिया के 250 से अधिक रोगी हैं। शहरी क्षेत्र में रमेड़ी, रहुनियां धर्मशाला, भिलावां, गौरा देवी नई बस्ती जैसे इलाकों में फाइलेरिया के मरीज हैं। ज्यादातर को हाथीपांव की शिकायत है। इस वर्ष (मई तक) 16539 जांचों में 45 मरीजों में फाइलेरिया की पुष्टि हुई है।
फाइलेरिया के शुरुआती लक्षण
फाइलेरिया से बचाव
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