हमीरपुर
पल्मोनरी टीबी (फेफड़ों की टीबी) के साथ ही एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी भी लोगों की सेहत को प्रभावित कर रही है। जनपद में दो वर्ष के आंकड़ों पर गौर करें तो वर्ष 2020 के मुकाबले वर्ष 2021 में एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के मरीज बढ़े हैं। नियमित उपचार से मरीजों को इस बीमारी से छुटकारा मिल रहा है।


जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ.महेश चंद्रा ने बताया कि टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस जीवाणु की वजह से होती है। टीबी ज्यादातर फेफड़ों पर हमला करता है, लेकिन एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी फेफड़ों के अलावा शरीर के अन्य भागों को भी प्रभावित कर सकता हैं। क्षय रोग से ग्रसित व्यक्ति खांसता, छींकता या बोलता है तो उसके साथ संक्रामक ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई उत्पन्न होता है जो कि हवा के माध्यम से किसी अन्य व्यक्ति को संक्रमित कर सकता है। जब एक स्वस्थ्य व्यक्ति हवा में घुले हुए इन माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस ड्रॉपलेट न्यूक्लिआई के संपर्क में आता है तो वह इससे संक्रमित हो सकता है।


डॉ.चंद्रा ने बताया कि एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी पल्मोनरी टीबी के साथ भी हो सकती है। इस प्रकार की टीबी अधिकतर कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों और छोटे बच्चों में अधिक पायी जाती है। एचआईवी से पीड़ित लोगों में, एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी की संभावना अधिक होती है। एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी को अंगों के हिसाब से नाम दिया गया है। मुख्यत: हड्डी, रीढ़ की हड्डी, आंत, गले की कंठमाला और फेफड़ों में पानी का उतर आना एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी की श्रेणी में आते हैं।

दो वर्ष में बढ़े एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के केस
जिले में दो वर्ष के अंदर एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के केस बढ़े हैं। जिला कार्यक्रम समन्वयक राजेंद्र प्रसाद ने बताया कि वर्ष 2020 की पहली तिमाही (अप्रैल से जून) में 45 लोगों में एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी की पुष्टि हुई थी। दूसरी तिमाही में 22, तीसरी तिमाही में 33 और चौथी तिमाही में 59 मरीज चिन्हित हुए। कुल 159 मरीज मिले। इसी तरह वर्ष 2021 में एक्स्ट्रा पल्मोनरी के केसों में बढ़ोत्तरी हुई। इस वर्ष पहली तिमाही में 89, दूसरी तिमाही में 44, तीसरी तिमाही में 57 और चौथी तिमाही में 55 सहित कुल 245 केस चिन्हित हुए।

इलाज के बाद बीमारी से उबरे
सीनियर ट्रीटमेंट सुपरवाइजर कमल बाबू सोनकर ने बताया कि कुरारा ब्लाक के कुसमरा गांव का 13 साल का बालक एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी को हराकर पूरी तरह से स्वस्थ है। बालक के गले में गांठ थी। जांच में एक्स्ट्रा पल्मोनरी की पुष्टि हुई थी। उपचार के बाद बालक बीमारी से पूरी तरह से ठीक हो गया। इसी तरह बोन टीबी के शिकार शहर निवासी 50 वर्षीय अधेड़ भी लगातार उपचार के बाद इस बीमारी से उबर रहे हैं। बीमारी की वजह से इनके पैर गलने लगे थे।

एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी के लक्षण
1- यदि रोगी के लिम्फ ग्रंथि में टीबी के जीवाणु हैं तो रोगी की लिम्फ ग्रंथि फूल जाएगी और दर्द होगा।
2- हड्डियों और जोड़ों के क्षय रोग में, रोगी को उस स्थान पर तेज दर्द और सूजन हो जाती है।
3- मस्तिष्क टीबी में कई तरह के लक्षण होते हैं, जिसमें दोहरी दृष्टि, भ्रम शामिल हैं। रोगी को सिरदर्द की शिकायत भी हो सकती है।
4- पेट में टीबी होने पर मरीजों को दर्द और पाचन संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
5- जेनेटिक यूरिनरी टीबी में बार-बार पेशाब आना और पेशाब में दर्द जैसी समस्याएं होती हैं।