वाशिंगटन: भारत में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हमलों और भेदभाव का आरोप लगाते हुए बुधवार को एक अमेरिकी रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिकी अधिकारियों ने देश में अल्पसंख्यकों को संविधान के तहत प्रदत्त पूर्ण संरक्षण प्रदान किये जाने की जरूरत पर जोर दिया है। अमेरिकी कांग्रेस द्वारा मान्यता प्राप्त ‘2019 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट’ को विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने बुधवार को विदेश विभाग में जारी किया जिसमें दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की घटनाओं का उल्लेख किया गया है।

भारत ने अमेरिका की धार्मिक स्वतंत्रता संबंधी एक रिपोर्ट को पहले ही खारिज करते हुए कहा था कि वह अपने नागरिकों के संवैधानिक रूप से संरक्षित अधिकारों पर किसी विदेशी सरकार के बोलने का कोई अधिकार-क्षेत्र नहीं मानता। रिपोर्ट के भारत वाले खंड में कहा गया है कि अमेरिकी अधिकारियों ने सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों, नागरिक संगठनों और धार्मिक स्वतंत्रता कार्यकर्ताओं एवं विभिन्न समुदायों के धार्मिक नेताओं के साथ पूरे साल धार्मिक स्वतंत्रता को सम्मान देने और सहिष्णुता एवं परस्पर सम्मान को बढ़ावा देने के महत्व पर जोर दिया है।

इसमें कहा गया है कि सरकारी अधिकारियों, मीडिया, अंतर-समुदाय सद्भाव संगठनों तथा एनजीओ के साथ बातचीत में अमेरिकी अधिकारियों ने देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों की वैध चिंताओं पर ध्यान देने की जरूरत पर जोर दिया है, सांप्रदायिक बयानबाजी की निंदा की है और संविधान के तहत अल्पसंख्यकों को प्रदत्त संरक्षण पूरी तरह सुनिश्चित करने पर जोर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अंबेसेडर एट लार्ज ने अक्टूबर में वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के साथ बैठकों में धार्मिक एवं जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव का दावा करते हुए इस पर चिंता जताई थी जिनमें सांप्रदायिक हिंसा शामिल है।